भारतीय जनता पार्टी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को सीधे निशाने पर लेते हुए आज आरोप लगाया कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय की गरिमा को कम किया है और खुद मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री की अपनी कुर्सी बचाने के लिए तमाम तरह के समझौते किए. बीजेपी ने 'कांग्रेस नेतृत्व की संप्रग सरकार के दस वर्षों का काला युग' नामक आरोप पत्र जारी करते हुए यह आरोप लगाया.
आरोपपत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय की गरिमा को नष्ट करने में सोनिया और राहुल बराबर के भागीदार हैं. वे बिना किसी उत्तरदायित्व के सत्ता की असीमित शक्तियां अपने पास रखना चाहते थे. कई अवसरों पर घटित भारी गलतियां और अनियमितताएं इन दोनों की स्वीकृति और अनुमोदन से हुई हैं. बीजेपी नेता रवि शंकर प्रसाद की ओर से जारी इस आरोपपत्र में कहा गया कि मनमोहन सिंह ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए हर प्रकार का समझौता किया. प्रधानमंत्री ने किसी भी अवसर पर लगातार हो रहे घोटालों और जनता के पैसे की लूट को रोकने में सक्रियता नहीं दिखाई. इन्हीं कारणों से इस सरकार को आजादी के बाद सबसे भ्रष्ट सरकार कहा गया.
इसमें आरोप लगाया गया है कि घोटालों के कई प्रकरणों में स्वयं प्रधानमंत्री की अपनी भूमिका संदेह के गंभीर दायरे में है. प्रधानमंत्री पर बीजेपी ने आरोप लगाया कि उन्होंने सोनिया की अध्यक्षता वाले बोर्ड के सीईओ के बतौर कार्य किया, जहां राहुल उनके डिप्टी थे. आरोपपत्र में कहा गया कि यूपीए के शासन में प्रधानमंत्री पद का अवमूल्यन हुआ, इसकी गरिमा के साथ समझौता किया गया एवं लचर शासन प्रणाली का खामियाजा देश की अर्थव्यवस्था को भुगतना पड़ा और असुरक्षा की भावना से देश की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय छवि पर गहरा आघात लगा.
अर्थव्यवस्था कर दी चौपट
इसमें ये आरोप भी लगाया गया कि यूपीए के 10 साल के शासन में भारतीय अर्थव्यवस्था का विनाश कर दिया गया. इसमें कहा गया कि 2004 में जब यूपीए ने सत्ता संभाली थी, उस समय एनडीए से उसे विरासत में 8.5 प्रतिशत की विकास दर मिली थी, लेकिन आज 10 साल के बाद ये 4.5 प्रतिशत पर औंधे मुंह गिर गई है. आरोपपत्र में कहा गया है कि सरकार बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी पर काबू पाने में पूरी तरह विफल रही और रुपये की कीमत में जितनी गिरावट यूपीए शासन काल में हुई, उतनी पहले कभी नहीं हुई.
वोट बैंक की राजनीति ने किया कमजोर
आतंकवाद के संदर्भ में इसमें कहा गया कि वोट बैंक की राजनीति ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर किया है. इसके अनुसार सरकार के मंत्रियों द्वारा भगवा आतंक जैसे शब्दों के प्रचलन और उसे बढ़ावा देने से आतंकियों और उनके आकाओं के हौसले बुलंद हुए हैं. आरोपपत्र में कहा गया कि इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के नाम पर लगातार मुसलमानों को बर्बर पुलिस कार्रवाई के शिकार के रूप में चित्रित करके पूरी बहस का सांप्रदायिकीकरण करने की कोशिश कर रही है.
निर्दोषों की गिरफ्तारी गलत
इसमें कहा गया कि निर्दोष व्यक्तियों की गलत तरीके से की गई गिरफ्तारी को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता फिर भी आतंकवाद के खिलाफ की गई पुलिस कार्रवाई को जान बूझकर मुसलमानों के खिलाफ लक्षित प्रताड़ना के रूप में चित्रित करने की प्रवृत्ति के पीछे बेहद खतरनाक और सांप्रदायिक मकसद छिपे हैं. यूपीए सरकार पर चीन की धमकियों के आगे झुकने का आरोप लगाते हुए बीजेपी ने कहा कि इसके चलते यूपीए सरकार दक्षिण चीन समुद्र में तेल अन्वेषणों के कार्य से पीछे हट गई. पार्टी ने कहा कि चीन पर दबाव बनाने के लिए ये सरकार पूर्वी एशियाई देशों विशेषकर जापान और वियतनाम के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध स्थापित करने में भी विफल रही.
कमजोर नेतृत्व के चलते हम पाक से दबे
पाकिस्तान का जिक्र करते हुए बीजेपी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ और संवेदनशील सुरक्षा स्थानों पर आत्मघाती हमलों के जरिए आतंकवादी भारत के खिलाफ लगातार गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. पाक सीमा पर भारतीय जवानों के सिर काटे जाने की घटना से पूरा देश आक्रोशित था. कमजोर नेतृत्व के कारण हम पाकिस्तान को अपेक्षित जवाब नहीं दे सके. आरोपपत्र में कहा गया कि सरकार ने अलगाववादी नेताओं को पाकिस्तान यात्रा करने और उन्हें पाकिस्तानी अधिकारियों से मिलने की इजाजत देकर सीमा पार की भारत विरोधी ताकतों को हमारे देश में उनके नापाक इरादों को अंजाम देने का काम किया है.
देश की साख धूमिल हुई
यूपीए की विदेश नीति की आलोचना करते हुए आरोपपत्र में कहा गया कि पड़ोसी देशों के साथ भारत के राजनीतिक रसूख में गिरावट आई है, जिसके चलते पिछले पांच साल के दौरान हमारी विदेश नीति में न तो आत्मविश्वास देखने को मिला और न ही सुरक्षा मुद्दों को दृष्टिगत रखते हुए अपने पड़ोसी देशों को चीन की गोद में बैठने से रोक सके. प्रत्येक पड़ोसी देश के साथ हमारी साख धूमिल हुई है. इसमें कहा गया कि अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु करार करके उस देश के साथ संबंधों को स्वर्णिम युग बताया गया था लेकिन आज इस सरकार के जाते जाते अमेरिका से हमारे संबंध अब तक के सबसे नीचे स्तर पर आ गए हैं. परमाणु समझौता किए इतने साल हो जाने के बावजूद इस करार के तहत बिजली उत्पादन का कहीं भी वजूद नहीं हैं.