अब तक आपने सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों को एक-दूसरों के साथ भिड़ते देखा होगा पर ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई भी सरकार न बनाना चाहता हो और विपक्ष में बैठने की होड़ लगी हो. पर कुछ ऐसा ही हाल है दिल्ली का.
दिल्ली चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को आए. उसके बाद से ही सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ों पर सियासी समीकरण बिठाए जाने लगे पर बात नहीं बनी. पहले AAP ने इस संभावना से इनकार किया फिर बीजेपी के सूत्रों से मंगलवार को ऐसी खबर आई जिससे साफ हो गया है कि दिल्ली में फिर चुनाव होंगे.
दोबारा चुनाव एक मात्र विकल्पः AAP
दरअसल, इसका पहला संकेत सोमवार को आम आदमी पार्टी ने दिया था जब पार्टी नेता मनीष सिसोदिया ने कहा कि जनता ने AAP को सरकार बनाने का जनादेश नहीं दिया. हम न तो बीजेपी या कांग्रेस को समर्थन देंगे या न ही लेंगे इसलिए दोबारा चुनाव ही एकमात्र विकल्प हैं. पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी मंगलवार को समर्थन न देने या न लेने वाली बात को दोहराया.
फिर से चुनाव की तैयारी करें नेताः बीजेपी
इसके बाद, मंगलवार को चुनावों में 31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी के विधायक दल की बैठक हुई. बैठक का एजेंडा था सरकार बनाने के लिए आगे की रणनीति पर चर्चा और इसमें तय हुआ कि सभी नेता फिर से चुनाव की तैयारी करें. सूत्रों की मानें तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अपने सभी उम्मीदवारों को निर्देश दिया है कि वो चुनाव की तैयारियां शुरू कर दें. आपको बता दें कि इस बैठक में पार्टी के हारे हुए उम्मीदवारों ने भी हिस्सा लिया.
बीजेपी नेताओं ने भी सरकार बनाने की संभावना से किया इनकार
पार्टी नेता वैंकेया नायडू ने कहा, 'दिल्ली में सरकार बनाने की कोई संभावना नहीं है. हमें सरकार बनाने का जनादेश नहीं मिला इसलिए पार्टी फिर से चुनाव के लिए तैयार है.' इससे पहले, पार्टी के सीएम उम्मीदवार डॉ. हर्षवर्धन ने भी जोड़-तोड़ के जरिए सरकार बनाने की संभावनाओं से इनकार कर दोबारा चुनाव की ओर इशारा कर दिया था. उन्होंने कहा था, 'हम सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है. पार्टी जोड़-तोड़ की राजनीति नहीं करने वाली. हम विपक्ष में बैठने को तैयार हैं.'