एमसीडी चुनाव में भले ही बीजेपी टिकटों के ऐलान में देरी कर रही हो, लेकिन पार्टी इन चुनावों मे भी अपने पहले आजमाए हुए फॉर्मूले पर काम कर रही है. दिल्ली में बीजेपी यूपी-महाराष्ट्र की रणनीति को दोहरा रही है, जिसमें पहली प्राथमिकता जीतने की गारंटी वाले उम्मीदवार के लिए होगी, फिर भले ही उसमें पार्टी के किसी नेता का भी टिकट क्यों न कट रहा हो.
बीजेपी ने एक दिन पहले ही आम आदमी पार्टी के एमएलए को पार्टी में शामिल करा कर अरविंद केजरीवाल को जबरदस्त झटका दिया था. बवाना के एमएलए वेद प्रकाश ने न केवल पार्टी और विधानसभा से इस्तीफा दिया, बल्कि बीजेपी दफ्तर आकर पार्टी का पटका भी पहन लिया. अब बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी दावा कर रहे है कि वेद प्रकाश की तरह ही आम आदमी पार्टी में कई परेशान विधायक हैं,जो पार्टी के संपर्क में है.
बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री सरदार आर पी सिंह ने कहा, ' केजरीवाल विधायकों के साथ कैसा बर्ताव करते हैं, यह उनकी पार्टी छोड़ चुके विधायक बता चुके हैं, अब कौन-कौन पार्टी छोड़ रहा है, यह उनको भी पता है, इसलिए पूरी पार्टी घबरायी हुई है.'
दरअसल बीजेपी यूपी, महाराष्ट्र समेत पिछले कई चुनावों में दूसरी पार्टी से नेताओं को तोड़कर विरोधियों को कमज़ोर करने की रणनीति अपना चुकी है, साथ ही बीजेपी का फार्मूला रहा है कि जीतने वाला उम्मीदवार भले ही दूसरी पार्टी में मिले, तो उसे भी पार्टी में शामिल किया जा सकता है. एमसीडी चुनाव में भी बीजेपी की रणनीति यही नजर आ रही है. शायद एमसीडी चुनाव के लिए टिकट वितरण में हो रही देरी के पीछे भी यही वजह है.
हालांकि बीजेपी के नेता दावा कर रहे हैं कि बीजेपी दूसरी पार्टियों को नहीं तोड़ रही है, बल्कि दूसरी पार्टी के नेता ही बीजेपी का दरवाज़ा खटखटा रहे हैं, क्योंकि सभी मोदी जी से आकर्षित हो रहे हैं. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव बब्बर के मुताबिक बीजेपी नए लोगों को मौका दे रही है, इसीलिए पार्टी में टिकटों पर मंथन चल रहा है.
ज़ाहिर है बीजेपी के पास यूपी की जीत से मिला उत्साह है और इसके बाद बने माहौल का फायदा उठाने में भी पार्टी पीछे नहीं है, यही वजह है पार्टी के फैसलों पर अंदरूनी विरोध के सुर भी बाहर नहीं आ पा रहे हैं.