बीजेपी जहां 16 मई को होने वाले चुनाव के जरिए केरल विधानसभा में कमल का फूल खिलाने की उम्मीद लगाए हुए है, वहीं मुख्यमंत्री ओमन चांडी का कहना है कि भगवा पार्टी को राज्य में पैर जमाने के लिए कोई आधार नहीं मिलने वाला क्योंकि केरलवासियों की सोच बीजेपी की विचारधाराओं के खिलाफ है.
कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ की अध्यक्षता कर रहे चांडी ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘बीजेपी को केरल में कभी आधार नहीं मिल सकता क्योंकि केरलवासियों की सोच भगवा पार्टी की विचारधाराओं के पक्ष में नहीं है.’ चांडी ने यह बात एक सवाल के जवाब में कही.
राज्य में BJP का कोई विधायक नहीं
उनसे पूछा गया था कि क्या बीजेपी आने वाले चुनावों में राज्य में अपना खाता खोल पाएगी? अब तक बीजेपी इस राज्य में कोई विधायक या सांसद देने में सफल नहीं रही है, लेकिन राज्य में हाल ही में हुए नगर निकाय के चुनावों में तुलनात्मक रूप से अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित पार्टी को उम्मीद है कि इस बार चीजें अलग होंगी.
क्या अबकी बार बीजेपी की नहीं होगी हार?
पार्टी ने केरल के शक्तिशाली एझावा समुदाय के संगठन एसएनडीपी (श्री नारायण धर्म परिपालन योगम) द्वारा हाल ही में गठित राजनीतिक दल बीडीजेएस (भारत धर्म जन सेना) के साथ गठबंधन किया है. यह पहली बार है, जब बीजेपी ने राज्य में एनडीए की मौजूदगी दर्ज कराई है और खुद को यूडीएफ और माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ के सामने तीसरे विकल्प के तौर पर पेश किया है.
केरल की सबसे बड़ी ताकत धर्मनिरपेक्षता
अब तक राज्य की सत्ता पर इन्हीं दोनों का कब्जा रहा है. भगवा पार्टी द्वारा राज्य की द्विध्रुवीय राजनीति को तोड़े जाने की संभावना को खारिज करते हुए चांडी ने कहा कि राज्य के लोग ‘धर्मनिरपेक्ष’ हैं. चांडी ने कहा, ‘केरल की सबसे बड़ी ताकत धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक सद्भाव है. हालांकि राज्य में राजनीतिक विभाजन की संभावना है, लेकिन बीजेपी बांटने वाली नीतियों के जरिए राजनीतिक लाभ लेने में सफल नहीं होगी.’
भावी हार की वजह तलाश रही माकपा
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘बीजेपी केरल में कभी आधार हासिल नहीं कर सकती.’ कांग्रेस द्वारा नेमोम समेत कुछ इलाकों में बीजेपी के साथ एक मौन सहमति बना लेने के माकपा के प्रदेश सचिव के. बालकृष्णन के आरोपों को खारिज करते हुए चांडी ने कहा कि यह चुनाव से पहले हार मान लेना है. माकपा पर तंज कसते हुए चांडी ने कहा, ‘माकपा की कोशिश बीजेपी पर आरोप लगाकर अपनी भावी हार की वजह तलाशने की है.'
अवसरवादी पार्टी है माकपा
कांग्रेस को देशभर में बीजेपी के खिलाफ लड़ने वाला दल बताते हुए चांडी ने माकपा पर आरोप लगाया कि उसने पहले भी कई बार भगवा दल के साथ हाथ मिलाया है. चांडी ने कहा, ‘माकपा एक अवसरवादी पार्टी है. 1977 में उन्होंने करेल में जनता पार्टी के साथ चुनाव लड़ा. 1989 में मार्क्सवादी पार्टी और बीजेपी ने केंद्र में वीपी सिंह की सरकार को समर्थन दिया.’ इसके अलावा, हाल में बिहार में महागठबंधन में शामिल न होकर कम्युनिस्ट पार्टी ने बीजेपी-विरोधी वोटों में विभाजन किया.
उन्होंने कहा, ‘अगर वे गठबंधन में शामिल हो गए होते, तो भगवा पार्टी को और अधिक नुकसान होता.’ उन्होंने कहा कि पूरे देश की निगाहें उस चुनाव पर थीं और कई लोग इस बात को लेकर उत्सुक थे कि बीजेपी हारनी चाहिए. चांडी ने कहा, ‘इस बात में कोई शक नहीं है कि यूडीएफ केरल में बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए अग्रिम मोर्चे पर होगी.’