समर्थन लेने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा रखी गई शर्तों पर कांग्रेस ने करारा हमला बोला है. पार्टी ने शनिवार को कहा कि 'आप' अपनी जिम्मेदारी से बच रही है. वह दिल्ली की सत्ता में नहीं आना चाहती इसलिए टाल-मटोल कर रही है.
कांग्रेस की तरफ से मोर्चा संभाल रहे हारून यूसुफ ने कहा कि 'आप' की शर्तों का समर्थन से कोई लेना देना नहीं है. प्रशासनिक फैसलों के लिए समर्थन की जरूरत नहीं होती. 'आप' को सरकार बनाकर अपना घोषणा पत्र लागू करना चाहिए. इस तरह की शर्तें रखकर वह लोकतंत्र का मजाक उड़ा रही है और दिल्ली की जनता को गुमराह कर रही है.'
अरविंद केजरीवाल ने चिट्ठी में सोनिया गांधी के सामने रखी हैं ये शर्तें...
कांग्रेस नेता ने 'आप' को आड़े हाथों लेते हुए कहा, 'कांग्रेस पार्टी अपने सिद्धांतों पर चलती है. 'आप' के कहने और करने में अंतर है. हम समर्थन इसलिए देना चाहते हैं कि 'आप' अपने मेनीफेस्टो की बातों को सही साबित करे. हम किसी तरह की जांच से पीछे नहीं हटते. प्रजातंत्र में ऐसे नहीं काम होता.'
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उन्होंने कहा कि 'आप' का उल्टे सवाल करना बिल्कुल गलत है. 'आप' को दिल्लीवालों ने समर्थन दिया है. कांग्रेस भी उसे समर्थन देने को तैयार है. तो वह आगे आकर सरकार बनाए. उसने दिल्ली की जनता को भ्रमित करके वोट हासिल किए हैं. अब सत्ता में आकर अपने वादे पूरे करे.
हारून यूसुफ के साथ मौजूद कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली ने आप से कहा, 'अपनी जिम्मेदारी से मत बचिए, दिल्ली को फिर से चुनावों की ओर मत धकेलिए. हम आपको इसलिए समर्थन दे रहे हैं कि ताकि दिल्ली का विकास हो, दिल्ली के लोगों को मुश्किल न हो.'लवली ने इन आशंकाओं को सिरे से खारिज कर दिया कि कांग्रेस पार्टी आम आदमी पार्टी को समर्थन देने के बाद तुरंत वापस ले लेगी. उन्होंने कहा 'विधानसभा की एक प्रकिया है. एक बार समर्थन देने के बाद 6 महीने तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है. 'आप' के घोषणा पत्र के मुताबिक तो वह 6 महीने में सारे वादे पूरे कर देंगे. इसलिए क्या हमारा दिमाग खराब है कि 6 महीने बाद हम समर्थन वापस ले लेंगे. लोग हमारे खिलाफ हो जाएंगे.'
उन्होंने कहा कि अगर केजरीवाल भ्रष्टाचार की जांच करना चाहते हैं तो करें, क्योंकि ये प्रशासनिक कार्य हैं और इसके लिए विधानसभा आने की जरूरत नहीं है.
'केजरीवाल में ज्ञान की कमी'
लवली ने कहा कि केजरीवाल में ज्ञान की कमी है. दो तरह के काम होते हैं- विधायकी और प्रशासनिक काम. प्रशासनिक कामों में किसी विधायक और सांसद का डायरेक्ट रोल नहीं होता. करप्शन की जांच के लिए विधानसभा से पूछने की जरूरत नहीं होती. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने वादे करने से पहले क्या हमसे पूछा था क्या?... फिर वह उन्हें लागू करने से क्यों बच रही है. रोजमर्रा के कामों के लिए समर्थन की जरूरत नहीं होती.
'आप' को लिखित आश्वासन का इंतजार
'आप' ने कहा है कि कांग्रेस ने जो भी प्रेस कॉन्फेंस में कहा, उसे वह लिखित आश्वासन में दे. कांग्रेस के आरोप पर 'आप' नेता कुमार विश्वास ने आजतक से कहा, 'हमें लिखित आश्वासन का इंतजार है.' अगर कांग्रेस उसे लिखित आश्वासन दे देती है तो आम आदमी पार्टी के पास सरकार बनाने के अलावा और कोई चारा नहीं रह जाएगा.
बीजेपी ने भी ठुकराईं 'आप' की शर्तें
बीजेपी नेता बलबीर पुंज ने कहा, 'ये अहंकार की हद है. पार्टी को विधानसभा चुनावों में 28 सीटें मिली हैं और यह सोचने के बजाए कि सरकार कैसे बनाई जाए, पार्टी के नेता दूसरी पार्टियों पर आधारहीन आरोप लगाने में व्यस्त हैं. न वो सरकार बना रहे हैं और न ही अपने वादें पूरे कर रहे हैं. सरकार बनाने के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना और ऐसी शर्ते लगाना पूरी तरह अनुचित है.'
बीजेपी नेता विजय मल्होत्रा ने केजरीवाल की भाषा को अनुचित बताते हुए कहा, 'न वो सरकार बना रहे हैं और न ही अपने वादे पूरे कर रहे हैं. सरकार बनाने के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना और ऐसी शर्तें लगाना पूरी तरह अनुचित है.'
केजरीवाल ने सोनिया व राजनाथ को लिखी चिट्ठी
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में दिल्ली से जुड़े 17-18 अहम मुद्दों का जिक्र किया गया है, जिस पर कांग्रेस और बीजेपी से अपना रुख साफ करने को कहा गया है. केजरीवाल ने समर्थन लेने के लिए रखी शर्तें
अरविंद केजरीवाल ने समर्थन लेने के लिए कई शर्तें रखी हैं. सभी शर्तें दिल्ली की जनता से जुड़े मुद्दों पर आधारित हैं. इन मुद्दों में मोटे तौर पर जनलोकपाल, बिजली-पानी की स्थिति में बुनियादी सुधार और वीवीआईपी कल्चर समाप्त किया जाना शामिल है. केजरीवाल ने कहा कि देश की राजनीति में पहली बार ऐसा हो रहा है कि सरकार बनाने के लिए कोई पार्टी समर्थन करने वाली पार्टियों के सामने ही शर्तें रख रही है.
कांग्रेस-बीजेपी की नीयत पर शक
उपराज्यपाल से मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्हें देर रात पता चला कि कांग्रेस ने AAP को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया है. उन्हें कांग्रेस की नीयत पर शक है. केजरीवाल ने कहा कि उन्हें बीजेपी के इरादे भी नेक नहीं नजर आ रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि बीजेपी के लिए 4 सीटें खरीदना कौन-सी बड़ी बात थी?
कांग्रेस व बीजेपी पर लगेगी तोहमत
दरअसल ऐसा माना जा रहा है कि सरकार बनाने के पीछे AAP का फॉर्मूला यह है कि वो जनता के बीच ये संदेश भेज सके कि बीजेपी 32 सीट जीतने के बाद भी सरकार बनाने की हिम्मत नहीं कर सकी और AAP ने 28 सीटें जीतने के बावजूद सरकार बनाई. इस तरह अगर आम आदमी पार्टी की सरकार थोड़े ही समय में गिर जाती है, तो जिम्मेदार भी कांग्रेस और बीजेपी ही होंगे.
कांग्रेस ने खेला समर्थन का दांव
उधर कांग्रेस पहले ही सियासी दांव खेल चुकी है. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर आम आदमी पार्टी को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस ने ताल ठोकी है कि केजरीवाल सरकार बनाएं और जनता से किए गए सारे वायदे पूरा करके दिखाएं.