कांग्रेस सांसद सतपाल महाराज को पार्टी में शामिल कर बीजेपी ने न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि पूर्वांचल के लाखों वोटरों को भी साधने की कोशिश की है.
सतपाल महाराज राजनीति के साथ-साथ धार्मिक क्षेत्र में भी दखल रखते हैं. कथा-प्रवचन में माहिर सतपाल महाराज के कार्यक्रमों में उनके अनुयायियों की भीड़, किसी बड़े सियासी दल की महारैली जैसी नजर आती है. उनके अनुयायियों में 90 फीसदी से ज्यादा पूर्वांचलवासी हैं. ऐसे में सतपाल का बीजेपी में आना और साथ में नरेंद्र मोदी का बनारस से चुनाव लड़ना पूर्वांचल में दूसरे दलों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.
उत्तराखंड की राजनीति में दबदबा रखने वाले सतपाल के बीजेपी में शामिल होने से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है. कांग्रेस यह अच्छी तरह से जानती है कि सतपाल का पूर्वांचल में भी खासा प्रभाव है. उनके लाखों अनुयायी हैं और इनमें से ज्यादातर पूर्वांचल से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में मोदी और सतपाल की जुगलबंदी ने पूर्वांचल की राजनीति को नई दिशा दे दी है.
सतपाल महाराज की मानव उत्थान सेवा समिति के नाम से संस्था भी है. अर्धकुंभ और महाकुंभ के दौरान संस्था को हमेशा संगम नगरी में जमीन आवंटित होती रही है. इलाहाबाद के साथ वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र सहित यूपी के सभी बड़े जिलों में उनकी संस्था के दफ्तर हैं.