बचाव में उतरी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अब अपना नया कार्ड फेंका है. यह है पिछड़े और दलित मुसलमानों के लिए रिजर्वेशन. इसके तहत पिछड़े मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग में और दलित मुसलमानों को अनुसूचित जाति कोटे में रिजर्वेशन दिया जाएगा.
यह खबर अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' ने दी है. उसके मुताबिक पार्टी ने एक अतिरिक्त घोषणा पत्र तैयार किया है, जिसमें ये वादे हैं. अल्पसंख्यकों के सशक्तिकरण के लिए जारी उसके नए घोषणापत्र में कहा गया है कि वह पिछड़े मुसलमानों के लिए 4.5 प्रतिशत कोटा रखेगी. यह पिछड़ी जातियों के लिए बनाए गए कोटे में से ही होगा.
26 मार्च को कांग्रेस ने जो घोषणा पत्र जारी किया था, उसमें पिछड़े मुसलमानों के लिए आरक्षण की बात थी, लेकिन नए दस्तावेज में साफ तौर से 4.5 प्रतिशत कोटे की बात है. इस कोटे की घोषणा मनमोहन सिंह ने की थी लेकिन अदालत ने उस पर रोक लगा दी थी.
अब कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए फिर से यह दांव खेला है. वह पिछड़ों के अलावा अब दलित मुसलमानों के लिए भी कोटे की बात कर रही है. वह उन्हें दलित वर्ग के तहत आरक्षण देना चाहती है. हालांकि दलितों के ग्रुप इसके खिलाफ हैं.
अनुसूचित जातियों का वर्तमान कोटा सिर्फ हिन्दुओं और बौद्धों को मिला हुआ है. कांग्रेस में इसमें संशोधन करना चाहती है. बीजेपी ने इसका विरोध किया है. उसका कहना है कि इन धर्मों में जाति के आधर पर किसी तरह का भेदभाव नहीं है.
कांग्रेस के इस नए घोषणा पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस की सरकार अगला आयोग बनाने की संभावना तलाशेगी जिसमें अल्पसंख्यकों को यह सुविधा मिल सकेगी.
कांग्रेस अल्पसंख्यकों को खुश करने में लगी हुई है क्योंकि उसे लग रहा है कि कई राज्यों में धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण हो रहा है और उसका लाभ बीजेपी को मिल रहा है. कांग्रेस लालू प्रसाद के साथ मिलकर बिहार में इसका फायदा उठा रही है. उसे वहां मुस्लिम वोट मिल रहे हैं. वह चाहती है कि हर जगह ऐसा ही हो.