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चुनावी दंगल में राहुल गांधी का दावा, 'कांग्रेस को मिलेंगी 2009 के चुनाव से भी ज्‍यादा सीटें'

कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया है कि उनकी पार्टी को इस बार 2009 के लोकसभा चुनाव से भी ज्‍यादा सीटें मिलेंगी. उन्‍होंने कहा कि चुनाव में कांग्रेस को बहुमत हासिल होगा और यूपीए 3 की सरकार बनेगी.

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राहुल गांधी (फाइल फोटो)
राहुल गांधी (फाइल फोटो)

कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया है कि उनकी पार्टी को इस बार 2009 के लोकसभा चुनाव से भी ज्‍यादा सीटें मिलेंगी. उन्‍होंने कहा कि चुनाव में कांग्रेस को बहुमत हासिल होगा और यूपीए 3 की सरकार बनेगी.

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'कांग्रेस को कमतर नहीं आंकें'
राहुल गांधी ने पार्टी को कमतर आंकने अथवा लोकसभा चुनावों में बहुत मुश्किल लक्ष्य का सामने करने जैसी बातों को सिरे से खारिज कर दिया. राहुल ने माना कि 10 वर्षों के शासनकाल के बाद कुछ हद तक कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है. हालांकि राहुल गांधी ने वित्तमंत्री पी चिदंबरम के उस विचार से असहमति जताई कि पार्टी को कमतर आंका जा रहा है और उसके सामने बहुत मुश्किल लक्ष्य है.

कांग्रेस की प्रचार अभियान समिति के प्रमुख राहुल गांधी ने PTI को दिए साक्षात्कार में कहा, 'कांग्रेस चुनौतीपूर्ण चुनाव लड़ रही है और हम इस चुनाव में जीत हासिल करेंगे.'

'मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूं'
राहुल गांधी ने आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिलने वाली सीटों को लेकर अनुमान लगाने से इनकार करते हुए कहा, 'मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूं, लेकिन हम अच्छा करेंगे.' चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों को सिरे से खारिज करते हुए राहुल ने कहा कि कांग्रेस इस चुनाव में 2009 के चुनाव के मुकाबले बेहतर करेगी. 2009 में पार्टी ने 206 सीटें जीती थीं. उन्होंने याद दिलाया कि 2004 और 2009 के चुनावों में भी कांग्रेस की हार या बुरी तरह पराजय का अनुमान लगाया गया था.

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लोगों के साथ संवाद में सरकार और पार्टी की नाकामी के बारे में राहुल ने कहा, 'मेरा मानना है कि हम अपनी उपलब्धियों को लोगों तक अधिक आक्रामक ढंग से पहुंचा सकते थे, जैसे कि मैंने कहा कि हमने परिवर्तनकारी कार्य किया है. हम संवाद में हमेशा बेहतर हो सकते हैं.'

'समान विचारधारा वाली पार्टियों का स्‍वागत है'
कांग्रेस के सहयोगी दलों का साथ छूटने संबंधी धारणा को खारिज करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी का एनसीपी, आरजेडी, जेएमएम, आरएलडी तथा नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन है, हालांकि डीएमके व टीएमसी अलग हो गए. यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस टीएमसी व डीएमके के साथ फिर से काम कर सकती है, तो राहुल ने कहा, 'हम उन लोगों के साथ हमेशा से काम करने की इच्छा रखते हैं, जिनकी विचारधारा और राजनीतिक दर्शन समान है और जो सांप्रदायिकता और उन सांप्रदायिक दलों के खिलाफ लड़ने को प्रतिबद्ध हैं, जो अपने तुच्छ राजनीतिक फायदों के लिए भारत को बांटना चाहते हैं.'

'कई मामलों में मेरी राय सरकार से जुदा'
राहुल गांधी ने कहा कि कई मामलों में सरकार से मेरे मतभेद रहे हैं, लेकिन मेरी बात खारिज कर दी गई. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक बहुत बड़े सार्वजनिक विषय पर, जिस पर मेरी बात खारिज कर दी गई वह थी लोकपाल को संवैधानिक निकाय बनाने का सवाल. उन्होंने कहा, 'पार्टी में वरिष्ठ नेताओं से मेरी राय जुदा थी, लेकिन मेरी बात खारिज कर दी गई.'

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राहुल गांधी ने दूसरा उदाहरण दिया दोषी ठहराए गए सांसदों को अयोग्य ठहराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जारी अध्यादेश वाले मामले का. इस मामले में उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भिन्न रुख अपनाया था और शुरू में उन्हें खारिज कर दिया गया था. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, 'तब मैंने अपनी राय सार्वजनिक करने का कदम उठाया.' उनका इशारा उस संवाददाता सम्मेलन की ओर था, जहां उन्होंने कहा था कि इस अध्यादेश को फाड़कर फेंक देना चाहिए. वे वहां जनता की राय व्यक्त कर रहे थे और पार्टी ने उनकी बात सुनी. इस मुद्दे पर उनके सार्वजनिक रूप से बयान देने पर विवाद पैदा हो गया था, क्योंकि उन्होंने ऐसे समय यह बयान दिया था जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेश में थे. इस विवाद पर राहुल गांधी ने कहा, 'बाद में यह समझ में आया कि इस विषय को बेहतर ढंग से निपटाया जा सकता था.

'सुधार के लिए लड़ना मेरा अधिकार'
राहुल गांधी से उनकी उस टिप्पणी के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सत्ता के केन्द्रीकरण की व्यवस्था को बदलने की जरूरत है और वे इस पर ध्यान देने जा रहे हैं. राहुल से सवाल किया गया. 'आप स्वयं ही व्यवस्था की उपज हैं. आप व्यवस्था के अंदर वाले यानी उसका हिस्सा हैं और आप बाहरी की भूमिका निभाना चाहते हैं. आपके आलोचक कहते हैं कि आप दोनों ही दुनिया की अच्छी चीजों का श्रेय लेना चाहते हैं.'

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राहुल गांधी ने यह कहते हुए इसका जवाब दिया कि दरअसल अभी जो महत्वपूर्ण है, वह यह नहीं है कि मैं कहां से हूं, बल्कि किस उद्देश्य के लिए काम करना चाहता हूं. उन्‍होंने कहा, 'क्या अंदर वाले या इसका हिस्सा होने का मतलब असहमत होने या बदलाव के लिए लड़ने का मेरा अधिकार खत्म हो जाता है?' उन्होंने कहा, 'जो व्यवस्था में सुधार लाना चाहते हैं, वे अक्सर ऐसे लोग होते हैं, जो उसी व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह करते हैं, जिसका वे हिस्सा होते हैं. हमने युवा कांग्रेस और एनएसयूआई में चुनाव करवाए और 15 लोकसभा क्षेत्रों के लिए प्राइमरी (उम्मीदवारों के चयन के लिए) करवाई.'

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, 'मैं विपक्षी दलों के अपने आलोचकों से पूछना चाहता हूं कि क्या वे अपने दलों में सशिक्तकरण से संबंधित ऐसी पहल के लिए तैयार हैं? इस तरह के अंदर वाले और बाहर वाले के खिताब का कोई मतलब नहीं है.'

'कांग्रेस ने की परिवर्तनकारी राजनीति की शुरुआत'
यूपीए सरकार के फीके प्रदर्शन पर लोगों की निराशा से संबंधित एक सवाल पर राहुल गांधी ने जवाब दिया कि पिछले 10 सालों में यूपीए सरकार ने सबसे अधिक वृद्धि दर दी है और 15 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला. उसने आरटीआई, शिक्षा का अधिकार, भोजन और रोजगार का अधिकार के माध्यम से नए तरह की परिवर्तनकारी राजनीति की शुरुआत की है.

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