लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार को लेकर टीम राहुल पर कांग्रेस के अंदर से ही हमले होने लगे हैं. कई कांग्रेसी नेताओं ने एक सुर में कहा है कि सिर्फ उन्हीं लोगों को नेतृत्व वाले पद दिये जाने चाहिए जिन्हें जमीनी कार्यों का अनुभव हो और कठोरता से आत्म निरीक्षण होना चाहिए ताकि पार्टी को अपना खोया हुआ आधार वापस पाने में मदद मिल सके. पहले केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने राहुल के सलाहकारों पर हार का ठीकरा फोड़ा अब उनके सुर में सुर मिलाते हुई कई कांग्रेसी दिग्गजों ने पार्टी नेतृत्व पर अपरोक्ष हमला करना शुरू कर दिया है और एक सुर में बड़े स्तर पर बदलाव की मांग करने लगे हैं.
इस पूरे मसले की शुरुआत कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने की जब उन्होंने राहुल के सलाहकारों को हार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सलाहकारों को जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं थी और जिन्हें कोई चुनावी अनुभव नहीं था, वे निर्णय ले रहे थे. इसके बाद एक-एक कर कई सांसदों ने इस पर प्रतिक्रिया दी और दबे स्वर में ही सही लेकिन शीर्ष नेतृत्व को चुनावी हार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए आगे संगठन में बड़े बदलाव की बात की.
थरूर बोले- मिलिंद की बात में सेंस है
मिलिंद देवड़ा के हमले के बाद शशि थरूर ने भी अपनी प्रतिक्रिया कुछ इस तरह दी. थरूर ने कहा, ‘मिलिंद एक अच्छे दोस्त हैं और अच्छे सांसद भी और उनकी ही तरह बहुत से सांसदों कार्यकर्ताओं कांग्रेस अध्यक्ष के सामने अपनी-अपनी बातें रखी हैं और वो इस पर कार्रवाई करेंगी. मिलिंद जो बात कर रहे हैं उसमें सेंस है. लेकिन राहुल के सलाहकारों में केवल तकनीकी विशेषज्ञ हैं. उनके पास राजनीतिक सलाहकारों में युवा सांसद जीतेंद्र सिंह, आरपीएन सिंह, सचिन पायलट और मुरली देवड़ा हैं. उनके पास राजनीतिक समझ है इसलिए हमें इस पर बेहद गंभीरता से विचार करना होगा.
थरूर ने कहा, ‘राहुल गांधी के साथ संवाद की कमी ने भी एक बड़ा रोल निभाया. हम उनसे रोज नहीं मिल सकते. लेकिन यह भी सच है कि राहुल केवल एक ही हैं और हम में से हर कोई उनसे हर हमेशा नहीं मिल सकता.’ उन्होंने आगे कहा, ‘पार्टी में खुलकर विचार होना चाहिए. पार्टी के भीतर इस हार पर खुलकर संवाद होना चाहिए.’
पायलट भी बदलाव चाहते हैं
अजमेर से करीब 1.7 लाख वोटों से हारे कांग्रेस के राजस्थान यूनिट के अध्यक्ष सचिन पायलट ने राजस्थान में सभी सीटों पर हार की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि वो आगे की रणनीति पर अब काम करेंगे. हालांकि पायलट को अपनी हार का यकीन नहीं है वो कहते हैं, ‘मैंने अजमेर में एक हवाई अड्डा, 43 नई ट्रेनें, एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और महिला महाविद्यालय खुलवाए इसके बाद भी हार कैसे हुई इस पर यकीन नहीं होता है.’
पायलट ने हालांकि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व पर कोई सीधा सवाल नहीं उठाया लेकिन संगठनात्मक ढांचे में बदलाव की बात कर दी. पायलट ने कहा, ‘अभी मैं केवल इतना कह सकता हूं कि हमें संगठनात्मक ढांचे की पूरी मरम्मत करनी होगी. पार्टी में प्रत्येक पद के लिए चुनाव होगा. हमें पार्टी से अनावश्यक लोगों को तुरंत बाहर करना होगा. आम लोगों तक पहुंचने वालों को पार्टी में शीर्ष पदों तक पहुंचना ही होगा.’
‘बड़ी डिग्री नहीं जमीनी हकीकत का ज्ञान जरूरी’
आरपीएन सिंह ने कहा, ‘राहुल गांधी को अपने वोटरों के साथ और अधिक बातें करनी चाहिए थीं. वो पार्टी और कांग्रेस वर्किंग कमेटी में पूरी तरह बदलाव के पक्ष में थे जबकि अजय माकन और शशि थरूर जैसे नेता जिन्हें अपनी बातें मतदाताओं तक पहुंचाने में महारत हासिल है उन्हें बड़ा किरदार दिया जाना चाहिए. एक राजनीतिक पार्टी एनजीओ नहीं हो सकती. बड़े कॉलेजों से डिग्री हासिल करना अच्छी बात है लेकिन अगर जमीनी हकीकत से वाकिफ न हों तो वो निर्णय नहीं ले सकेंगे. हमें उनसे छुटकारा पाना चाहिए.’
‘देवड़ा की बात बहुत हद तक सही’
उधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी भी मिलिंद देवड़ा के विचारों से सहमत होते नजर आये. उन्होंने उम्मीद जताई कि समस्याओं को दूर करने के लिए ईमानदार और कठोर आत्म निरीक्षण किया जायेगा. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि देवड़ा ने जो कुछ कहा है वह पूरी तरह से सही न न हो लेकिन जो उन्होंने कहा है उसका बड़ा हिस्सा सही है. पार्टी में इस बढ़ती धारणा के मद्देनजर ये टिप्पणियां महत्वपूर्ण समझी जा रही है कि ऐसे अनेक लोगों को जिन्हें न तो चुनावों का कोई अनुभव था न ही राजनीति की बारीकियों की समझ थी उन्हें प्रचार और गठबंधन जैसे मुद्दों पर नेतृत्व के निर्णय को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई.
जनता से दूर हो गए हैं कांग्रेसी नेता: प्रिया दत्त
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सचिव प्रिया दत्त ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद प्रिया दत्त ने भी जनता के साथ पार्टी नेताओं की दूरी बनने की बात की. उनका कहना था कि हमें इस दूरी को पाटना होगा. पिछले दस वर्षों में हमसे कहां गलती हुई, उस पर भी हमें गौर करना होगा. हाल के लोकसभा चुनाव में मिलिंद देवड़ा और प्रिया दत्त दोनों को हार का सामना करना पड़ा है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमरिंदर सिंह ने हालांकि कहा कि इस पराजय के लिए पार्टी को सामूहिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
देवड़ा ने फूंका था बिगुल
पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने राहुल के सलाहकारों को हार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सलाहकारों को जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं थी और जिन्हें कोई चुनावी अनुभव नहीं था, वे निर्णय ले रहे थे. दक्षिण मुंबई से पूर्व सांसद और केन्द्र में मंत्री रहे मिलिंद देवड़ा ने फिर कहा कि उनकी यह टिप्पणी पार्टी के प्रति गहरी निष्ठा और चुनावों में उसके खराब प्रदर्शन से हुई पीड़ा से उपजी है.
देवड़ा ने ट्विटर पर कहा, मेरी टिप्पणी पार्टी के प्रति गहरी निष्ठा की भावनाओं, चुनावों में हमारे प्रदर्शन को लेकर पीड़ा और पार्टी की पुनर्वापसी देखने की एक ईमानदार इच्छा से उपजी है. इससे अधिक कुछ नहीं. उन्होंने ट्विटर पर एक अन्य टिप्पणी में कहा, जमीनी पार्टी कार्य और चुनावी संघर्ष जमीनी वास्तविकताओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण है. यह कांग्रेस में नेतृत्व के पदों के लिए आधार बनना चाहिए.
देखें देवड़ा ने क्या ट्वीट किया:
My comments are out of emotions of deep loyalty to the party, pain of our performance & a sincere desire to see us bounce back. Nothing more
— Milind Deora (@milinddeora) May 22, 2014
Field party work & electoral battles are key to comprehend ground realities. This should form the basis for leadership posts in Congress
— Milind Deora (@milinddeora) May 22, 2014