दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में पडऩे वाले ओखला विधानसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी (आप) समर्थक जीत के प्रति इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने नतीजे आने से एक दिन पहले ही जश्न मना लिया. मुस्लिम बहुल इस निर्वाचन क्षेत्र में सोमवार की शाम को AAP के सक्रिय सदस्य डॉक्टर रेहान खान ने एक दावत का आयोजन किया, जिसमें पार्टी प्रत्याशी और अब विधायक अमानतुल्लाह खान और AAP कोर ग्रुप के कुछ लोगों समेत स्थानीय गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया गया था.
खुदाई का दावा न करें
AAP समर्थकों ने कहा कि अमानतुल्लाह का जीतना सौ फीसदी तय है. इस पर वहीं मौजूद अमानत ने अपने
नेता अरविंद केजरीवाल के अंदाज में हस्तक्षेप किया, ‘यह तो खुदाई का दावा करने जैसा है. यह कहना मुनासिब
होगा कि हम जीत जाएंगे.’ मानो खुदा ने भी अपने बंदों की बात सुन ली. लोगों का अनुमान सौ फीसदी सही
निकला. अमानतुल्लाह कांग्रेस के अपने अपने प्रतिद्वंद्वी आसिफ मोहम्मद खान के 17,392वोटों के मुकाबले
66,615 वोटों से जीते. बीएसपी से बीजेपी में आए ब्रह्म सिंह को मात्र 10,840 वोट मिले.
क्लास बनाम मासेज
मुख्यत: अनधिकृत कॉलोनियों वाले इलाके में हुए इस चुनाव में जाति-धर्म का कोई महत्व नहीं रह गया था.
अब तक कांग्रेस का समर्थन करने वाले इलाकों ने खुलकर AAP की तरफदारी की और कई जगहों पर लोगों
ने वोट डालने के बाद यह भी स्पष्ट कर दिया कि किसे वोट दिया है. ओखला के मतदाताओं ने यह भी जाहिर
कर दिया कि इस बार ज्यादातर मुसलमान किस पार्टी के साथ होंगे. कई लोगों का कहना है कि इससे दूसरी
जगहों पर भी मुसलमानों ने अपना इरादा बनाया.
जनता से जुड़े रहेंगे
नतीजे आने से पहले की शाम को अपने समर्थकों के बीच मौजूद अमानतुल्लाह ने कहा, ‘अब हम मोहल्ले स्तर
पर कमेटियां बनाएंगे ताकि आम लोगों से संपर्क बना रहे.’ AAP की कोर टीम से जुड़े जामिया हमदर्द
मेडिकल कॉलेज के डॉ. रेहान खान की ओर से आयोजित इस दावत में इलाके के कई जाने-माने और प्रोफेशनल
लोग मौजूद थे. एम्स में एसोसिएट प्रोफेसर रह चुके डॉ. खान ने इलाके में कई मुफ्त मेडिकल कैंप लगवाए और
घर-घर जाकर AAP का प्रचार किया.
चुनौतियां
अमानतुल्लाह इलाके की समस्याओं से वाकिफ हैं और उन्हें दूर करना उनकी बड़ी चुनौती है. ओखला में सॉलिड
वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट से प्रदूषण बड़ी समस्या है, जिसे पार्टी ने भी दूर करने का वादा किया है. बटला हाउस का
कब्रिस्तान छोटा पड़ गया है. नए कब्रिस्तान की मांग वे खुद भी करते रहे हैं. इसके अलावा, मुख्य सड़कों पर
जाम की समस्या भी है. यही नहीं, अनियंत्रित विकास और निर्दोष मुस्लिम युवाओं को फंसाने के भी मामले हैं.
जाहिर है, उम्मीदों के साथ चुनौतियां भी हैं. सबसे बढ़कर, केजरीवाल लहर पर सवार होकर जीतने वाले
अमानतुल्लाह को मंझे हुए नेता के रूप में खुद को विकसित करना होगा और मेरठ में एक खास जगह के लोगों
की हिमायत के अंदेशों को खारिज करना होगा.