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MCD चुनाव में VVPAT के इस्तेमाल पर कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से मांगा जवाब

आम आदमी पार्टी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को VVPAT से जोड़ कर चुनाव कराने की मांग कर रही है. VVPAT व्यवस्था के तहत वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है. इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है.

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दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट

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आम आदमी पार्टी की वोटर वेरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) को एमसीडी चुनावों में इस्तेमाल करने को लेकर दायर की गई याचिका पर फिलहाल दिल्ली कोर्ट ने कोई फौरी राहत देने से मना कर दिया है. कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को नोटिस देकर दो दिन में जवाब देने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे समय में ना ही दिल्ली के एमसीडी चुनाव पर स्टे लगाया जा सकता है और ना ही VVPAT मशीन इस्तेमाल करने के लिए कह सकते हैं.

VVPAT से चुनाव कराने की मांग
आम आदमी पार्टी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को VVPAT से जोड़ कर चुनाव कराने की मांग कर रही है. VVPAT व्यवस्था के तहत वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है. इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है. मंगलवार को AAP ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में इसी का इस्तेमाल एमसीडी चुनावों में करने की मांग की है.

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पार्टी की मांग से चुनावों में होगी देरी
चुनाव आयोग ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एमसीडी चुनाव में सिर्फ 4-5 दिन का समय बचा है. ऐसे में किसी पार्टी की इस तरह की मांग को मानना चुनावों में देरी करना है. आयोग ने कोर्ट से कहा कि ईवीएम मशीन का इस्तेमाल करके ही आम आदमी पार्टी विधानसभा सभा चुनाव 67 सीटों से जीती थी. आम आदमी पार्टी का कहना है कि जनरेशन 2 VVPAT का इस्तेमाल सुरक्षित है और इसमें गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं है. साथ ही AAP ने ये भी कहा कि चुनावों को रद्द कराने की उसकी कोई मंशा नहीं है.

क्या है VVPAT?
वोटर वेरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) यह एक प्रणाली है, जो मतदाता को बैलेट पेपर के बगैर वोटिंग करने पर मतदान संबंधी जानकारी देती है. इस व्यवस्था के तहत मतदाता के वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है. इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है. यह व्यवस्था इसलिए है कि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके.

सबसे पहले नागालैंड में हुआ था इस्तेमाल
सबसे पहले इसका इस्तेमाल नागालैंड के चुनाव में 2013 में हुआ था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट मशीन बनाने और इसके लिए पैसे मुहैया कराने के आदेश केंद्र सरकार को दिए थे. चुनाव आयोग ने जून 2014 में तय किया कि अगले चुनाव यानी साल 2019 के चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाएगा. आयोग ने इसके लिए केंद्र सरकार से 3174 करोड़ रुपए की मांग की है.

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