बेहतरीन शैक्षिक केंद्रों के लिए जाने जाने वाली दिल्ली का प्रदर्शन अपने विधायकों की शैक्षिक योग्यता के मामले में बहुत खराब है. यहां 47 प्रतिशत विधायक केवल 12वीं पास हैं या उससे कम शिक्षित हैं. हालांकि, इस बार दिल्ली को पिछली बार की तुलना में ज्यादा ईमानदार विधायक जरूर मिले हैं.
विधानसभा चुनाव में 31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने वाली बीजेपी के दो विधायक आठवीं पास हैं. उसके तीन विधायकों के पास डॉक्टरेट की डिग्री है, इसके अलावा उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार ईएनटी विशेषज्ञ हैं और सात विधायक ग्रेजुएट हैं.
इस चुनाव में राजनीति में कदम रखने वाली आम आदमी पार्टी के 28 विधायकों का नेतृत्व अरविंद केजरीवाल कर रहे हैं, जो कि भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी हैं और आईआईटी स्नातक हैं. हालांकि पार्टी के एक विधायक ने कक्षा आठवीं तक ही पढ़ाई की है.
चुनाव में भारी हार का सामना करने वाली कांग्रेस का प्रदर्शन शिक्षा के मोर्चे बहुत अच्छा नहीं है. उसके आठ विधायकों में से तीन ग्रेजुएट हैं, एक दसवीं पास और चार कक्षा 12वीं पास हैं. 70 विधायकों में से चार पीएचडी हैं. आप के विधायक हरीश खन्ना तथा बीजेपी के जगदीश मुखी, महेंद्र नागपाल और नंदकिशोर गर्ग पीएचडी हैं. केवल 51 प्रतिशत विधायकों ने स्नातक या उससे ऊपर की पढ़ाई की है.
आपराधिक छवि के ज्यादा उम्मीदवार हारे चुनाव
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के फांडर मेंबर जगदीप छोकर ने कहा, पिछले बार की तुलना में इस बार आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के मामले में थोड़ा सुधार जरूर है. इस बार गंभीर आपराधिक मामले वाले 94 उम्मीदवारों में से 74 ने चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है. जीतने वाले उम्मीदवारों में 70 में से 25 विधायकों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें बीजेपी के 17, आम आदमी पार्टी के 3 और कांग्रेस के 2 विधायकों पर मामले दर्ज हैं.