जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, मेरी परेशानी बढ़ती जा रही है. वजह सिर्फ एक है, किस पार्टी को वोट दूं. हर बार यही सवाल मन में आता है कि मुख्यमंत्री पद का सबसे बेहतरीन उम्मीदवार कौन है? भले ही बीजेपी की सीएम कैंडिडेट किरण बेदी इन दिनों सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं. लेकिन मैंने तय किया है कि मैं उन्हें वोट नहीं देने वाला. इसकी वजह है...
1. MCD और बीजेपी पर लगे भ्रष्टाचार पर चुप
एक वक्त पर भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का चेहरा मानी जाने वाली किरण बेदी अब एमसीडी के भ्रष्टचार पर चुप क्यों हैं. बीजेपी के नेतृत्व वाली एमसीडी के भ्रष्टाचार ने दिल्ली वालों को सबसे ज्यादा परेशान कर रखा है. कोई काम बिना रिश्वत के नहीं पूरा होता. इसके अलावा उन्होंने जिस पार्टी का दामन थामा है, वह भी कोई ईमानदारी की गंगा नहीं है. मोदी सत्ता में आने से पहले तो भ्रष्टाचार के बारे में बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे पर अब चुप हैं. कहीं बेदी का हाल भी ऐसा ही न हो. मैं अजय माकन को वोट दूंगा, क्योंकि...
2. क्या बेदी की बीजेपी आरटीआई के दायरे में आएगी
बीजेपी और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियां खुद को आरटीआई के दायरे में नहीं लाना चाहतीं. किरण बेदी तो शुरू से पार्टियों को आरटीआई के अंदर लाने की हिमायती रही हैं, तो क्या बीजेपी बदल जाएगी. ऐसा होता दिखता नहीं है. बीजेपी ने जिस तरह से लोकसभा चुनाव में पानी की तरह पैसा बहाया, क्या इन चुनावों में भी ऐसा ही होगा. और ये पैसा है किसका? कहीं काला धन तो नहीं? क्या किरण बेदी इसके बारे में कुछ बताएंगी. मैं अरविंद केजरीवाल को वोट दूंगा, क्योंकि...
3. बहस से क्यों भाग रही हैं?
अरविंद केजरीवाल ने बहस की चुनौती दी और कांग्रेस के अजय माकन मान गए, पर किरण बेदी को ऐतराज है. आखिर बेदी बहस से भाग क्यों रही हैं. दिल्ली वालों को पूरा हक है कि वोट डालने से पहले वो अपने नेताओं के विचार और नीतियों को जानें. एक मुद्दे पर उनकी पार्टी कहां खड़ी है, यह तो सार्वजनिक हो और ऐसा डिबेट के जरिए भी संभव है, पर बेदी जी को इससे परहेज है. चौंकाने वाली बात तो यह है कि किरण बेदी बार-बार संवाद पर जोर देती हैं. मैं किरण बेदी को वोट दूंगा, क्योंकि...
4. सांप्रदायिक नीतियां और घर वापसी
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भड़काऊ भाषण और घर वापसी जैसे सांप्रदायिक कार्यक्रमों की खबरों ने सबसे ज्यादा निराश किया. ऐसा लगने लगा है कि बीजेपी सबका साथ सबका विकास के एजेंडे से भटक गई है. त्रिलोकपुरी के दंगे और दिलशान गार्डन के चर्च में हुए हमले डराते हैं. इन विवादित मुद्दों पर किरण बेदी क्या सोचती हैं? अभी तक उन्होंने अल्पसंख्यकों को भरोसा नहीं दिलाया है.
5. दिल्ली पैसे कैसे कमाएगी?
मुझे सबसे ज्यादा निराशा इस बात से है कि अब तक दिल्ली के सभी नेताओं ने मुफ्त बांटने की बात की है, पर दिल्ली कमाएगी कैसे? इस पर किसी ने कुछ भी नहीं कहा. दिल्ली में दिन प्रतिदिन व्यवसाय बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन व्यापारियों में सरकार के प्रति निराशा है. और दिल्ली की कमाई इन्हीं व्यापारियों पर निर्भर है. पर बेदी जी की नीतियां इस मुद्दे पर भी गौन हैं. मैं अजय माकन को वोट नहीं दूंगा, क्योंकि...
6. दिल्ली की सुरक्षा की जवाबदेही
दिल्ली की सुरक्षा की जवाबदेही किसकी होगी? 16 दिसंबर के हादसे के बाद हर दिल्लीवाला इसी सवाल से जूझता रहा कि आखिर इस बड़ी चूक के लिए किसे जवाबदेह माना जाए. मुख्यमंत्री या उनके अधीन नहीं आने वाली दिल्ली पुलिस को. किरण बेदी बार-बार साझेदारी में काम करने की बात करती हैं, पर यह एक तरह से अहम मुद्दों से जिम्मेदारी से भागने का तरीका नहीं है.
7. दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा कब मिलेगा? इन विधानसभा चुनावों के बाद या फिर 2019 के लोकसभा चुनावों के. इस मुद्दे पर बीजेपी गोलमोल जवाब देती है, और अपनी छवि से विपरीत किरण बेदी ने भी कुछ नहीं बोला है. जब केंद्र में उनकी ही सरकार है तो सीएम उम्मीदवार इतना भरोसा तो दिला ही सकती हैं. मैं अरविंद केजरीवाल को वोट नहीं करूंगा, क्योंकि...
8. तानाशाही रवैये का डर
पुलिसिया करियर के दौरान किरण बेदी पर अक्सर ही तानाशाही रवैये का आरोप लगा. कहीं ऐसा मुख्यमंत्री बनने के बाद तो नहीं होगा. एक तो वह पैराशूट प्रत्याशी हैं, जिसे लेकर बीजेपी के कई नेता नाराज हैं. अगर सीएम बनने पर किरण बेदी अपनी ही पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को साथ लेकर नहीं चलेंगी तो दिल्ली का बेड़ा गर्क होना तय है.
9. आपका दिल बार-बार क्यों बदलता है
पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन, फिर राजनीति से परहेज और फिर अचानक ही राजनीति में आने को राजी. पहले सार्वजनिक मंच पर मोदी और बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी, और अब उसी पार्टी के सीएम कैंडिडेट. किरण बेदी जी बार-बार आपके विचार क्यों बदल जाते हैं?
10. सीएम का ऑफर तो केजरीवाल ने भी दिया था, बीजेपी ही क्यों
सबसे अहम सवाल यह है कि सीएम पद का ऑफर तो आपको अरविंद केजरीवाल ने भी दिया था. और उन दिनों केजरीवाल से आपके रिश्ते इतने भी खराब नहीं थे. पर आपने बीजेपी को चुना, इसका जवाब अभी तक नहीं मिला.