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गंदगी साफ करने का अभियान

इस बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का बटन दबाने का नया आधार बन रहा है. चुनाव 2009 की जो खासियत इसे अलग रखती है वह यह कि इस बार सामान्य राजनैतिक लफ्फाजी के अलावा एक और आवाज सुनी जा रही है.

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जे एस वर्मा
जे एस वर्मा

इस बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का बटन दबाने का नया आधार बन रहा है. चुनाव 2009 की जो खासियत इसे अलग रखती है वह यह कि इस बार सामान्य राजनैतिक लफ्फाजी के अलावा एक और आवाज सुनी जा रही है. वह है, साधारण नागरिकों की.

रिटायर्ड न्यायाधीशों से लेकर युवा पेशेवर यहां तक कि बॉलीवुड के सितारे भी राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ अखिल भारतीय स्तर पर आंदोलन चला रहे हैं. भारत के रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीश जे.एस. वर्मा ने हाल ही में सभी राजनैतिक दलों से एक अपील जारी की है कि वे दागदार नेताओं को टिकट देने से बचें. उनका कहना था, ''हम अब कानून बनाने वालों का नकाब ओढ़े कानून तोड़ने वालों को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं.''

आइआइएम अहमदाबाद के प्रोफेसरों द्वारा युवा ग्रेजुएट्स की मदद से गठित एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) भी उतना ही सक्रिय है. यह ऐसा संगठन है जो उम्मीदवारों के दायर किए हलफनामों की जांच करता है और अब तक यह घोषित 730 उम्मीदवारों में से 63 उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि की पड़ताल कर चुका है. संगठन के राष्ट्रीय संयोजक अनिल बैरवाल कहते हैं, ''प्रबंधन कोर्सों में एक पुरानी कहावत है कि यदि आप सही जगह पर सही लोग नियुक्त कर देते हैं तो काम जरूर ही हो जाएगा.''

यह समूह उम्मीदवारों के दायर किए हलफनामों का विश्लेषण कर उसके आंकड़े जनता को मुहैया कराता है. इस समूह ने अपने अभियान में ग्लैमर जोड़ने के लिए बॉलीवुड के सितारे आमिर खान को भी जोड़ लिया है. बैंगलोर की स्वयंसेवी संस्था, जनाग्रह ने टाटा टी के साथ करार एक लोकप्रिय अभियान जागो रे शुरू किया है जो मतदाताओं से सिर्फ जागने को ही नहीं कहता बल्कि 'जागरूक' बनने को भी कहता है. सुमन आर. कहते हैं, ''हमने पहली बार वोट दे रहे मतदाताओं के लिए अलग किस्म का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फार्म तैयार किया है. छह महीनों में ही हम 5 लाख लोगों तक पहुंच चुके हैं.''

बॉलीवुड के भी अपने उद्यम हैं. एक कलाकार और सांसद मिलिंद देवड़ा के भाई मुकुल देवड़ा और करन जौहर तथा इमरान खान की तिकड़ी ने युवा बॉलीवुड कलाकारों को एक लघु फिल्म में काम करने को तैयार कर लिया है. यह फिल्म जनता से उस बदलाव के लिए वोट डालने की अपील करती है, जिसकी उनको उम्मीद है. देवड़ा कहते हैं, ''युवाओं को एहसास हो गया है कि वे देश का भविष्य नहीं बल्कि वर्तमान हैं. वे जो बदलाव चाहते हैं, उसे सही लोगों को वोट देकर ला सकते हैं, '' फिल्म का शीर्षक है 'आपके हाथ में,' यही इस आंदोलन की व्याख्या कर देता है.

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