बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के करीबी और बीजेपी के उत्तर प्रदेश प्रभारी अमित शाह के विवादित बयान की जांच चुनाव आयोग ने शुरू कर दी है.
अमित शाह ने गुरुवार को शामली में एक सभा में कहा था कि ये चुनाव अपमान का बदला लेने का है. यह इलाका पिछले साल के दंगों के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित रहे इलाकों में से एक है. शनिवार को शामली के डीएम ने अमित शाह के बयान के टेप को चुनाव आयोग के पास भेज दिया, जिसकी जांच की जा रही है.
अमित शाह ने कहा था, 'जिन्होंने हमारे समाज का अपमान किया, जिन्होंने हमारे परिवार के लोगों की हत्या की, समाज की रक्षा करने वाले लोगों को मौत के घाट उतार दिया, उन लोगों के साथ बैठकर कभी हमारा सम्मान बढ़ सकता है क्या? तो हाथी आपके मोहल्ले में आए तो आप हाथी को पूछिएगा कि भाई हाथी हमारे समाज का क्या है, पूछेंगे कि नहीं पूछेंगे.'शनिवार को इस मुद्दे पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी. कांग्रेस ने चुनाव आयोग से अमित शाह को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दंगा प्रभावित जिलों में उनके 'नफरत फैलाने वाले भाषणों' के लिए गिरफ्तार करने और उनके चुनाव प्रचार करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.
समाजवादी पार्टी ने नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगी को 'फासीवादी' बताया, जबकि बीएसपी ने भी आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह के जरिये माहौल बिगाड़ रहे हैं और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रहे हैं. जेडीयू ने कहा कि अमित शाह किसी तानाशह की तरह बोल रहे हैं और आरोप लगाया कि बीजेपी अल्पसंख्यक समुदाय के मन में भय पैदा करने की कोशिश कर रही है.