दिल्ली में सियासी समर के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा कर दी है. सोमवार को चुनाव आयोग की बैठक खत्म होने के बाद शाम साढ़े चार बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोग ने इस बाबत ऐलान किया. दिल्ली में 07 फरवरी को एक ही चरण में सभी सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे, जबकि 10 फरवरी को मतगणना की जाएगी. चुनाव आयोग ने कहा कि राज्य में 15 फरवरी से पहले चुनाव के नतीजे आना जरूरी है. दिल्ली में एक करोड़ 30 लाख मतदाता हैं.
इससे पहले चुनाव आयोग की बैठक में तारीखों पर खूब माथापच्ची हुई. स्कूलों की वार्षिक परीक्षा और क्रिकेट वर्ल्डकप के मद्देनजर आयोग की प्राथमिकता लोकतंत्र के इस
महापर्व को समय रहते करवाने की है. आयोग ने बताया कि दिल्ली में वोटरों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन होगी और NOTA का विकल्प भी मिलेगा. दिल्ली में सोमवार को चुनाव तारीख की घोषणा के साथ ही आचार संहिता भी लागू हो गई है. मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने तारीखों की घोषणा करते हुए बताया कि राज्य में 14 जनवरी से प्रत्याशी अपना नामांकन दाखिल कर पाएंगे, जबकि 21 जनवरी नामांकन की आखिरी तारीख होगी. 22 जनवरी तक स्क्रूटनी की जा सकेगी है, वहीं 24 जनवरी तक नाम वापस लेने की प्रक्रिया होगी.
आम आदमी पार्टी की ओर से मनीष सिसोदिया ने कहा कि उनकी पार्टी और कार्यकर्ता चुनाव के लिए तैयार हैं, जबकि बीजेपी ने इसे अराजकता के खिलाफ लड़ाई बताया है. खबरों के मुताबिक, कांग्रेस भी अजय माकन के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है. माकन भी चुनाव के लिए तैयार बताए जा रहे हैं, हालांकि अभी इस बाबत कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.
दिल्ली के चुनावी संग्राम में कूदने के लिए सारे महारथी कमर कस चुके हैं. हालांकि पहले से ही यह संभावना जाहिर की जा रही थी कि राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी मध्य में चुनाव होंगे. मार्च में सीबीएसई के एग्जाम होने हैं, जिसकी वजह से फरवरी के मध्य में ही चुनाव कराना ज्यादा उपयुक्त माना जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के साथ किसी और राज्य में चुनाव नहीं हो रहे हैं इसलिए सेंट्रल पारा मिलिट्री फोर्स की उपलब्धता को लेकर भी कोई समस्या नहीं है. दिल्ली चुनाव में पैरा मिलिट्री फोर्स की करीब 100 कंपनियां तैनात की जा सकती हैं. इसके अलावा दिल्ली में पुलिसबल की मौजूदगी भी बनी रहती है, लिहाजा सुरक्षा कोई समस्या नहीं है.
बीजेपी बनाम आम आदमी पार्टी
दिल्ली चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच माना जा रहा है. साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में दिल्ली में 'आप' ने 28 सीटें जीती थीं,
जबकि बीजेपी 31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. हालांकि, मई 2014 में संपन्न लोकसभा चुनावों में तस्वीर बिल्कुल पलट गई थी, जब बीजेपी ने
दिल्ली में क्लीन स्वीप कर सभी सात लोकसभा सीटें जीत ली थीं.
पिछले चुनाव के बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी के कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार का गठन किया था और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन 49 दिनों बाद ही हाई वॉल्टेज ड्रामा के बीच केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू था.
बीजेपी के हौंसले बुलंद, AAP भी तैयार
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत और जम्मू-कश्मीर में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद दिल्ली को लेकर बीजेपी का उत्साह चरम पर है. उधर, केजरीवाल भी
मोदी का विजय रथ रोकने को तैयार हैं. आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के बाद किसी राज्य के चुनाव प्रकिया में हिस्सा लिया और उसका पूरा ध्यान दिल्ली चुनाव
पर केंद्रित है. करीब महीने भर पहले एक दिसंबर से 5 दिसंबर के बीच किए गए इंडिया टुडे ग्रुप और सिसेरो के ओपिनियन पोल में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलता दिख
रहा था. लेकिन अरविंद केजरीवाल पसंदीदा मुख्यमंत्री बनकर उभरे.