चुनावी राजनीति में स्वच्छ शासन के लंबे-चौड़े दावे बस सतही अहमियत ही रखते हैं. हकीकत यह है कि उत्तर प्रदेश और मणिपुर में कुछ उम्मीदवार बेखौफ होकर वोट खरीदने की कोशिश कर रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि इन उम्मीदवारों का नाता तमाम राजनीतिक दलों से है. इंडिया टुडे ग्रुप की जांच से ये भी खुलासा हुआ है कि ये उम्मीदवार चुनाव प्रचार के लिए चुनाव आयोग की ओर से तय अधिकतम खर्च सीमा का भी धड़ल्ले से उल्लंघन कर रहे हैं.
इंडिया टुडे ग्रुप के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने तहकीकात की मुहिम के तहत सबसे पहले उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद सीट से बीएसपी उम्मीदवार अतीक अहमद सैफी का रुख किया. खुद की लॉबिस्ट के तौर पर पहचान बता कर अंडर कवर रिपोर्टर ने सैफी से बात की. छिपे हुए कैमरे ने सैफी को जो कुछ बोलते कैद किया, उससे साफ है कि वह अगर विधानसभा में सीट जीतते हैं तो अपने पद का गलत इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं.
सैफी ने अंडर कवर रिपोर्टर से कहा, 'आपका काम, जो भी आपके दिमाग में है, रुकेगा नहीं, इंशाअल्लाह.' सैफी ने दावा किया, 'आप को सिर्फ घर पर बैठना होगा और आपका काम, वैध या अवैध, मिनिस्ट्री में हो जाएगा.' सैफी ने कबूल किया कि कुछ निहित तत्व चुने हुए नेताओं से गैरकानूनी कामों को अंजाम दिलवाने के लिए संपर्क करते हैं. सैफी ने कहा कि अगर घूस के दम पर विधायक चुने जाते हैं, तो वह गलत और सही में कोई भेद नहीं करेंगे. सैफी ने वादा किया कि आप जो भी कहेंगे उसे हम पूरा कराएंगे. चाहे वो PWD या खनन का टेंडर हो.
चुनाव प्रचार में करोड़ों रुपये खर्च
उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग ने प्रत्येक उम्मीदवार के लिए चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा 28 लाख रुपये तय कर रखी है. लेकिन सैफी ने अंडर कवर रिपोर्टर को अपने चुनावी खर्च के बारे में बताया कि ये पहले ही चार करोड़ रुपये को पार कर चुका है. इसमें टिकट से लॉबिंग शुरू करने से लेकर अब तक का खर्च शामिल है. सैफी ने कहा, 'भाई, इसे इस तरह समझिए कि मैंने जब से चुनाव लड़ना शुरू किया, तब से अब तक चार करोड़ रुपये खर्च कर चुका हूं.'
सैफी ने हर दिन होने वाले अपने खर्चे को भी गिनाया. सैफी ने कहा, पांच लाख रुपये रोजाना प्रचार वाहनों पर खर्च होते हैं. इसके अलावा लोगों के लिए खाना, चाय-पानी जैसे और भी कई खर्च होते हैं. बीएसपी उम्मीदवार ने कहा, 'प्रचार के लिए 30 वाहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इनमें से कुछ वाहन के लिए तो नियमानुसार अनुमति ली गई है. कुछ बिना अनुमति के ही चल रहे हैं. आखिर हम कैसे कागज पर इतना खर्च दिखा सकते हैं.' सैफी ने ये भी बताया कि उनके 450 बूथ एजेंट हैं जिन्हें हर दिन के हिसाब से 1000-1000 रुपए का भुगतान किया जाता है.
वोट खरीदने को सभी पार्टियों के नेता तैयार
मौजूदा चुनाव में धनबल ने पार्टी लाइन से हटकर सभी जगह गहरी पैठ बना रखी है. इंडिया टुडे ग्रुप की जांच में आगरा नॉर्थ सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अतुल गर्ग वोटरों को घूस देने के लिए चंदा इकट्ठा करने की कोशिश में दिखे. गर्ग ने कहा, 'तो मुझे 15,000 से 20,000 वोट खरीदने होंगे. उसके बाद ही संतुष्ट हुआ जा सकता है. ये 20-25 लाख का अलग से खर्चा होगा.'
गर्ग ने बताया कि उनका इरादा नकदी के दम पर पिछड़े समुदाय का समर्थन जुटाने का है. इसके लिए गर्ग ने किश्तों में रकम की मांग की. गर्ग ने अंडर कवर रिपोर्टर्स से कहा, 'आप 15-15 लाख की किश्तों में रकम दे सकते हैं, जो भी आपको सुविधाजनक लगे, या इसे 25-25 में भेज दें. ये छोटा समुदाय है. वहां 20,000 से 25,000 वोटर्स हैं. हम उनके नेताओं में से प्रत्येक को 5, 7, 10 (हजार) से फिक्स कर लेंगे.' वोटरों का समर्थन जुटाने के लिए शराब का सहारा भी लिया जाता है. गर्ग ने कहा, मैं पैसा, खाना, सामान और शराब बांट सकता हूं. जो भी चाहिए होगा वो हम देंगे.'
वहीं आगरा नॉर्थ से ही सटी हुी आगरा कैंट सीट से पीस पार्टी के उम्मीदवार राकेश वाल्मीकि ने विधानसभा में जाने के लिए धनबल और बाहुबल, दोनों को ही इस्तेमाल करने का इरादा जताया. वाल्मीकि ने अंडर कवर रिपोर्टर से कहा, 'हम वोटर्स को सीधे 5,000 से 10,000 रुपये देंगे. हमारे पास बूथों पर गोली चलाने के लिए भी आदमी हैं, जहां मुझे वोट नहीं मिलेंगे वहां ये दंगा करेंगे और बूथ कैप्चर कर लेंगे.' वाल्मीकि ने बिना किसी हिचक अपनी मांग रखी, एक रैली के लिए 10 लाख रुपए, तीन किश्तों में.
चुनाव जीतने के लिए 4-5 करोड़ रुपये की दरकार
इंडिया टुडे की विशेष जांच टीम ने पाया कि वोटरों को पैसे से खरीदने की बीमारी दूरदराज के राज्य में भी फैली है. मणिपुर में चुनाव लड़ रहे बीजेपी उम्मीदवार वोबा जोराम को दिल्ली के एक पांच-सितारा होटल में बैठे हुए छुपे कैमरे में कैद किया गया. मणिपुर में 4 मार्च और 8 मार्च को दो चरणों में चुनाव होना है. जोराम ने कहा, 'अब तक मैं 1.02 करोड़ रुपये खर्च कर चुका हूं. अगर मेरे हाथ में 2 करोड़ रुपये और हों तो मैं जीतूंगा, निश्चित रूप से मैं जीतूंगा. 4 से 5 करोड़ रुपए चाहिये.
बीजेपी उम्मीदवार जोराम का चुनाव में मोटा खर्च करने का इतिहास रहा है. जोराम ने कहा, 'पिछली बार मैंने 4 करोड़ रुपये खर्च किए थे. 2007 में 3 करोड़ खर्च हुए थे. इस बार ज्यादा महंगा है. निश्चित रूप से ये 5 करोड़ होगा.' मणिपुर में विधानसभा चुनाव के लिए किसी उम्मीदवार के अधिकतम खर्च की सीमा 20 लाख रुपये निर्धारित है, लेकिन जोराम ने इस चुनाव के लिए खुद अपने खर्च का बजट 5 करोड़ बताया. जोराम के प्लान में वोट खरीदने का खर्च भी शामिल है.
हर घर को बांटेंगे दो से तीन हजार रुपये
अंडर कवर रिपोर्टर ने जब इतने मोटे खर्च का ब्योरा देने के लिए कहा तो जोराम ने कहा कि अधिकतर पैसा प्रचार के लिए वाहन किराए पर लेने पर और वोट खरीदने के लिए ग्रामीणों को कैश बांटने पर होता है. जोराम ने कहा, 'अधिकतर खर्च वाहनों पर होता है. हम 60 कार प्रचार में लगाएंगे. हालांकि हमें सिर्फ 5 वाहन के इस्तेमाल की ही अनुमति है. हर गांव के प्रमुख को हमें 15 से 20 लाख रुपए बांटने हैं. इसके बदले में वो सभी ग्रामीणों को विश्वास में लेंगे और हर घर के हिसाब से 2000-3000 रुपए बांटेंगे. हमें वोट खरीदने पड़ते हैं.'
इंडिया टुडे नेटवर्क ने अपनी जांच में दिखाया कि किस तरह चुनाव को चुराना विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में अब भी कड़वी हकीकत बना हुआ है. इस जांच के प्रसारण के बाद चुनाव आयोग ने मौजूदा चुनावों में 'कैश-फॉर-वोट' घोटाले की जांच का आदेश दिया है. चुनाव आयोग के कानूनी सलाहकारों, अधिकारियों का कहना है कि नोट के जरिए वोट खरीदने वाले और सीमा से अधिक चुनाव खर्च करने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया में इंडिया टुडे की जांच का संज्ञान लिया जाएगा.
इस बीच, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कार्रवाई तत्काल शुरू करने की मांग की है. कुरैशी ने कहा कि इंडिया टुडे की जांच ने ऐसे उम्मीदवारों का चुनाव निरस्त करने के लिए पर्याप्त आधार उपलब्ध कराया है.