दिल्ली में बीजेपी की चुनाव समिति की बैठक जारी है. सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट का ऐलान होना आज तय है जबकि अध्यक्ष राजनाथ सिंह चित्तौड़गढ़ से चुनाव लड़ सकते हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश की 50 से ज्यादा सीटों पर आज फैसला लिया जाएगा जबकि मीटिंग में गुजरात पर चर्चा फिलहाल नहीं होगी. बीजेपी की अगली बैठक 19 मार्च को होगी.
... तो बनारसी बाबू बन जाएंगे मोदी
चुनावी मौसम में मोदी बनारस आए तो थे समर्थकों और बाबा विश्वनाथ का अलख जगाने, मगर खुद ही बनारसी बाबू बनकर गए. बनारस की आबो हवा और रैली में उमड़े समर्थकों का उत्साह देख मोदी फिलहाल तो दिल से बनारसी हो जाने का दवा कर रहे हैं, अब संभावना है सीट से भी बनारसी बाबू बन जाएंगे. क्या हुआ जो बनारस सीट के पुराने साधक मुरली मनोहर जोशी खफा हैं, मोदी के बढ़ते बनारस मोह से खार खाए बैठे हैं. पार्टी के पीएम उम्मीदवार को ये सीट भा गई तो भा गई. क्या फायदा ये सवाल उठाने का कि जब पूरे देश में मोदी की लहर है, तो नजर सिर्फ बनारस की सीट पर क्यों? चुनावी लहर पर सवार मोदी तो पूरे देश में कहीं से खड़े हो सकते हैं.
माथापच्ची जारी है, चुनाव समिति की तीन-तीन बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन इस बात पर फैसला अब तक अटका है कि मोदी आखिर लड़ेगे कहां से? बनारस के सवाल पर जोशी जी अड़े हैं, तो लखनऊ की सीट छिनने की दहशत में लालजी टंडन लाल-पीले हो रहे हैं. अब तो बस इंतजार है बीजेपी चुनाव समिति की बैठक का, जो मोदी की सीट पर अंतिम मुहर लगाने वाली है.
मोदी को बनारस सीट मिलने के मायने और फायदे...
बीजेपी की नजर में अगर मोदी वाराणसी सीट से चुनाव लड़े तो पूरे पूर्वांचल की सीटों पर फायदा होगा. यूपी के साथ बिहार की सीटों पर भी बीजेपी के कोर वोट बैंक को सही संकेत जाएगा. बीजेपी के बड़े खेमें के साथ संघ ने भी मोदी के वाराणसी से लड़ने की पैरवी की है.
वाराणसी सीट की कितनी अहम है, इसका अंदाजा आरएसएस की गहरी दिलचस्पी से लगाया जा सकता है. इस पर मोदी की उम्मीदवारी को लेकर यूपी के प्रभारी महासचिव अमित शाह संघ से विचार विमर्श कर चुके हैं. अमित शाह पूरे साल इसी मशक्कत में लगे रहे. संघ ने भी अपने तरीके से सर्वे कराए, लेकिन इससे पहले कि मोदी वहां से अपनी दावेदारी ठोंकते या पार्टी उनकी पैरवी करती, उम्मीदवारी को लेकर विवाद खड़ा हो गया. जोशी जी की नराजगी पुरानी हो गई, अब तक संघ न सिर्फ मोदी की उम्मीदवारी को लेकर ग्रीन सिग्नल दे चुका है, बल्कि जोशी जी का क्रोध शांत करने का मंत्र भी फूंक चुका है. क्योंकि रणनीति है कि गुजरात के साथ पूर्वांचल में भी मोदी की लहर से चुनावी फायदा उठाने का. इस पर बीजेपी में एकराय बन चुकी है.
जोशी जी की शिकायत का क्या...
मगर जोशी जी की शिकायत का क्या होगा, जो फिलहाल अनसुनी है. अगर उन्हें कानपुर की सीट दी गई, तो कलराज मिश्र कहां से लड़ेंगे? विकल्प लखनऊ का हो सकता है, मगर इस पर तो खुद पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की नजर है और इसे लेकर लाल जी टंडन भी अपना खूंटा गाड़े हुए हैं. ऐसे में बीजेपी की नई लिस्ट का इंतजार सबको बेसब्री से है.