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अमेठी में 'बहू' ने बेटी के पसीने छुड़ाए, स्मृति ईरानी दे रहीं हैं प्रियंका गांधी को टक्कर

कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा की सीट अमेठी में जबर्दस्त जंग जारी है. राहुल गांधी की मदद के लिए पहुंची प्रियंका गांधी को वहां से बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी जोरदार टक्कर दे रही हैं.

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स्मृति ईरानी
स्मृति ईरानी

कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा की सीट अमेठी में जबर्दस्त जंग जारी है. राहुल गांधी की मदद के लिए पहुंची प्रियंका गांधी को वहां से बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी जोरदार टक्कर दे रही हैं.

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एक अंग्रेजी समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक वहां का चुनाव अब एकतरफा नहीं है और दोनों ही पक्ष एक दूसरे से टक्कर ले रहे हैं. बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी अप्रैल महीने से लगातार हर दिन 200 किलोमीटर की यात्रा कर रही हैं. संघ के उनके साथ आ जाने से उनकी चर्चा हर ओर है.

उधर प्रियंका गांधी के अपने भाई के पक्ष में कूद जाने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. उन्होंने राहुल की कमान संभाल ली है. उनके आने से राहुल के प्रचार अभियान को बल मिला है और वह लोगों को अपने साथ ले चलने में कामयाब हुई हैं. लेकिन उन्हें लोगों के सवालों के जवाब देना भारी पड़ रहा है. लोग उनसे बिजली के बारे में सवाल पूछते हैं जिसकी हालत बहुत खराब है. यहां बिजली इतनी बड़ी समस्या है कि हर कोई हैरान-परेशान है, प्रियंका गांधी के पास भी इसका जवाब नहीं है. वह लोगों से कहती हैं कि यह विपक्षियों की साजिश है कि वे यहां बिजली आने नहीं दे रहे हैं. प्रियंका गांधी लोगों से उच्च शिक्षा के बारे में बातें करती हैं लेकिन लोग शिकायत करते हैं कि यहां इंटर कॉलेज भी नहीं है.

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गौरीगंज अमेठी जिले का मुख्यालय है. यहां स्मृति ईरानी ने अपनी जगह बना ली है. लोग उन्हें तुलसी कहते हैं जो टीवी की सबसे लोकप्रिय बहू रही हैं. राजनीति में आने के पहले अपने इसी रोल से वह चर्चित रही थीं. एक अधिकारी ने पत्र को बताया कि स्मृति ने शुरुआती दिनों में काफी लहर पैदा की, उन्हें देखने के लिए काफी भीड़ जुटती थी.

इस प्रचार अभियान में दोनों अपने-अपने ढंग से भाग ले रही हैं. प्रियंका गांधी लोगों को बताती हैं कि इतने सालों के शासन में उन्होंने अमेठी के लिए क्या किया जबकि स्मृति बताती हैं कि वहां और क्या हो सकता था. दोनों ही अपनी सलेब्रिटी छवि से बाहर निकल कर अपने प्रचार को मजबूत कर रही हैं. स्मृति एक कदम आगे बढ़कर उस हर व्यक्ति को तिलक लगाती हैं जो उनके लिए प्रचार करता है. वह व्यक्तिगत संपर्क में विश्वास करती हैं.

एक ओर स्मृति अमेठी में 40 साल से चल रहे एक ही वंश के शासन को खत्म करने के लिए जी-जान लगा रही हैं वहीं प्रियंका कठिन परिश्रम कर रही हैं. वह भी घर-घर जा रही हैं और नुक्कड़ बैठकों को संबोधित कर रही हैं.

एक डॉक्टर ने पत्र को बताया कि स्मृति के आ जाने से गांधी परिवार की नींव हिल गई है. कई दशकों में पहली बार अमेठी में इलेक्शन हो रहा है न कि सेलेक्शन. अब बेटी और बहू में देखना है, कौन जीतता है.

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