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आने वाले 60 महीने में मेरे जैसा मजदूर नंबर वन नहीं मिलेगा, बोले नरेंद्र मोदी

चुनाव में बीजेपी और नरेंद्र मोदी की जीत के बाद वडोदरा में रोड शो का आयोजन किया गया. रोड शो के बाद मोदी ने लोगों को संबोधित किया. पढ़ें जीत के बाद क्या बोले नरेंद्र मोदी.

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जीत के बाद नरेंद्र मोदी का पहला भाषण
जीत के बाद नरेंद्र मोदी का पहला भाषण

चुनाव में बीजेपी और नरेंद्र मोदी की जीत के बाद वडोदरा में रोड शो का आयोजन किया गया. रोड शो के बाद मोदी ने लोगों को संबोधित किया. पढ़ें जीत के बाद क्या बोले नरेंद्र मोदी.

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भारत माता की जय.
आज पूरा हिंदुस्तान जिस नगरी के लिए गौरव कर रहा है. उस वडोदरा के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों. आज सुबह से आप सब चाहते थे कि मैं कुछ बोलूं. लेकिन मेरा मन कहता था कि अगर बोलूंगा तो वडोदरा जाकर बोलूंगा. अगर पहला हक है, तो वडोदरा का है. अच्छे दिन आ रहे हैं. अच्छे दिन आ रहे हैं.

मैं यहां आया हूं आप सबका अभिनंदन करने के लिए. धन्यवाद करने के लिए. इस चुनाव में व्यक्तिगत रूप से उम्मीदवार के नाते दो महत्वपूर्ण बातें मेरे साथ हुईं. एक, वड़ोदरा को मैं मुश्किल से नामांकन भरने के बाद सिर्फ 50 मिनट दे पाया था. और आपने 5 लाख 70 वोटों की जीत दी मुझे. मैं वडोदरा की जनता को सिर झुकाकर नमन करता हूं. यहां एक एक मतदाता ने नरेंद्र मोदी बनकर काम किया. भाइयों बहनों. मैं आप सबको ह्रदय से धन्यवाद करता हूं. प्रणाम करता हूं. आपने बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाई.

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दूसरी बात. शायद हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार किसी उम्मीदवार को अपने मतदाताओं के साथ संवाद करने का अवसर न मिला हो. बनारस ने मोदी के मौन पर मुहर लगा दी. मुझे बनारस में एक उम्मीदवार के नाते मेरी बात बताने का सौभाग्य नहीं मिला. उसके बावजूद भी मोदी को मौन को बनारस के लोगों से जिस प्रकार से मुहर लगाई है. ये दोनों घटनाएं हिंदुस्तान के राजनीतिक जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं हैं, जो मेरे साथ जुड़ी हुई हैं.

आज आप लोगों ने नया रेकॉर्ड बनाया है. अभी मीडिया को भी यह बात नजर नहीं आई है. हमारे देश में जो आम चुनाव होते हैं. जैसे अभी हुआ. मैं उपचुनाव की बात नहीं कर रहा हूं. इसलिए मीडिया वाले मुझे गलत कोट कर न चला दें. मुझे बताया गया कि हमारे देश में अब तक जितने लोकसभा के जनरल इलेक्शन हुए हैं, उसमें पांच लाख 70 हजार का रेकॉर्ड किसी ने किया नहीं है.

किसी व्यक्ति का प्रचार नहीं. किसी दल का प्रचार नहीं. किसी सिंबल का प्रचार नहीं. लेकिन पूर्ण रूप से लोकतंत्र, मतदाता, मताधिकार और मतदान एक जिम्मेदार, इन चार मतों को लेकर वडोदरा के बुद्धिजीवियों ने और समाज के हर वर्ग के लोगों ने जो अभियान चलाया, वह आजाद देश के इतिहास में सबसे बड़ी घटना है. मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं.

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(मंच के एक तरफ व्यवधान. मोदी सुरक्षाकर्मियों को किनारे करते हैं)

मोदी कहीं पर भी हो. आपकी परेशानी उसे पता चल जाती है.

इस चुनाव में गुजरात ने अदभुत रेकॉर्ड कायम किया है. 26 में 26. पहले बोलते थे, तो लोग मजाक उड़ाते थे. मैं बताता हूं. 26 में 25 भी आतीं तो कल बुराई हो जाती. भाजपा वाले जो दावा करते हैं, सब फर्जी है, ऐसा कहा जाता. मैं गुजरात की जनता का आभारी हूं. उन्होंने 26 में 26 सीटें दीं. विजय मामूली नहीं है. लाख दो लाख चार लाख की लीड आसान नहीं. मुझे बताया गया कि बीजेपी के पक्ष में मतदाताओं ने करीब करीब 60 फीसदी वोटिंग की. ये लोकतंत्र में एक नई मिसाल है.

दूधवाला आता है, गृहिणी कहती है तो थोड़ा और दूध डाल देता है. सब्जी वाले से मांगो तो कुछ और सब्जी दे देता है.

सात असेंबली के भी चुनाव हुए. छह कांग्रेस की सीटें थीं. एक भाजपा की थी. जनता ने कांग्रेस की तीन सीटें जीतकर हमको दे दीं. हमने उपचुनाव में चार सीटें जीतीं. तीन इसलिए रख लीं कि कहीं उनको तकलीफ न हो जाए.

मैं नहीं जानता कि आज टीवी डिबेट क्या रहा. अगर आ गई हो तो अभिनंदन, नहीं किया हो तो.

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भाइयों बहनों, देश आजाद होने के बाद ज्यादातर कांग्रेस पार्टी की सरकार रही है. और जब भी गैरकांग्रेस सरकार आई है, तो एक प्रकार से गठबंधन की आई. यह पहली बार हुआ है कि किसी गैरकांग्रेसी दल को अपने दम पर बहुमत मिला हो. पहली बार एक राष्ट्रवादी दल को जनता का इस तरह से आशीर्वाद मिला है.

और एक महत्वपूर्ण बात. अब तक देश में जितने चुनाव हुए, उसमें नेतृत्व उनके पास था, जो आजादी के पहले पैदा हुए. ये पहला चुनाव है, जिसका नेतृत्व आजादी के बाद जो पैदा हुए, उनके हाथ रहा. चाहे कांग्रेस हो, चाहे बीजेपी हो. ये अपने आप में अद्भुत बात है. मैं नहीं जानता कि इस पर पॉलिटिकल पंडितों का ध्यान क्यों नहीं गया.

आज मैं इस सयाजीराव गायकवाड़ जी की धरती से देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमें आजादी के मरने का सौभाग्य नहीं मिला. हमें आजादी के लिए जेल जाने का सौभाग्य नहीं मिला. हमें आजादी की जंग में अंग्रेज सरकार के जुल्मों को सहने का सौभाग्य नहीं मिला. लेकिन भले हमें आजादी पाने के लिए जीने मरने का अवसर न मिला हो, लेकिन आजाद हिंदुस्तान में सुराज्य के लिए जीना, ये हमारा संकल्प है. हम स्वराज के लिए मर नहीं पाए. लेकिन सुराज्य के लिए जी सकते हैं.

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एक जनशक्ति है, जिसके सामर्थ्य से भारत का निर्माण होने वाला है. मेरा आप पर भरोसा है. ये भरोसे की ताकत है. जो भारत के सामान्य नागरिकों को ताकत से लैस बनाता है. आज एनडीए ने आप ही के दम पर ट्रिपल सेंचुरी बनाई. एनडीए को तीन सौ प्लस दे दिया. देश की जनता का मैं बहुत आभारी हूं. मैं प्रारंभ से कहता आया हूं. सरकार देश की होती है. सरकार कुछ विशेष लोगों की नहीं होती. सरकार सवा सौ करोड़ देशवासियों की होती है.

मैं एक सवाल पूछूं आपसे. समझोगे. परिश्रम करने की मेरी जो पराकाष्ठा है. उसमें देश में किसी को शक है क्या. हम तो मजदूर नंबर वन हैं. आने वाले 60 महीने में देश को मेरे जैसा मजदूर नहीं मिलेगा.

और मैंने चुनाव अभियान में मजदूर कैसा होता है, ये उदाहरण प्रस्तुत कर दिया. चार बार आपने मुझे मुख्यमंत्री के नाते दायित्व दिया. एक दिन भी मैंने छुट्टी नहीं ली है. क्योंकि मैं मानता हूं कि आपने मुझे जो जिम्मेवारी दी है. इसको पूरा करने में शरीर का प्रत्येक कण खर्च हो जाए, तो भी कम है. गुजरात में हमारा नारा था, सबका साथ, सबका विकास.

जनता ने हमें स्पष्ट बहुमत दिया. एनडीए को भारी संख्या में जनादेश दिया.

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(व्यवधान...गुजराती की डिमाडं. मोदी बोले. गुजराती-मराठी सब आएगा. वड़ोदरा ने मुझे देश का बना दिया. धैर्य रखिए.)

विजय कितनी ही भव्य क्यों न हो. पताका कितनी ही ऊंचाई पर क्यों न फहरती हो. इसके बाद भी भारत का संविधान मुझे कहता है. वही जिसे बाबासाहब अंबेडकर ने लिखा. और अंबेडकर को किसने प्रेरित किया पढ़ने के लिए. वडोदरा के गायकवाड़ साहब ने. इस धरती से बाबा साहब की पुण्यस्मृति को याद करते हुए मैं कहना चाहता हूं कि सबको साथ लेकर चलूंगा.

लोग पूछते थे कि मोदी जी बहुमत नहीं आया तो क्या करोगे. मैं उनको कहता था कि सरकार चलाने के लिए देश की जनता हमें स्पष्ट जनादेश देने वाली है. और वो दिया. लेकिन मैंने उसमें भी कहा था. स्पष्ट बहुमत के बावजूद भी हम देश चलाने के लिए सबको साथ रखना चाहते हैं.

सरकार चलाने के लिए बहुत कुछ मिल चुका है. देश चलाने के लिए सबको साथ लेकर चलना हमारी जिम्मेवारी है. हम इस जिम्मेदारी को नम्रतापूर्वक चलाने के लिए आपका आशीर्वाद चाहते हैं. इन चुनावों के साथ हुए विधानसभा चुनावों में जीतने वाले राजनीतिक दलों को, नए चुने गए विधायकों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं. मुझे विश्वास है वे देश निर्माण में हमारे साथ आएंगे. मैं सभी दलों के सभी राजनेताओं को अंतकरण पूर्वक बधाई देता हूं.

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प्रतिस्पर्धा अपनी जगह है. लोकतंत्र की ताकत है कि सब अपने हैं. सवा सौ करोड़ लोगों के लिए यह व्यवस्था है. उसे लेकर हम आगे बढ़ें. अगर वडोदरा की बात करूं तो आपके प्यार को विकास के रूप में सवाया करके लौटाऊंगा. फिर एक बार भारत के 60 साल के जनरल चुनाव के इतिहास में रेकॉर्ड बनाने के लिए आपको नतमस्तक होकर नमन करता हूं. राजनीतिक क्षेत्र के उन कार्यकर्ताओं को भी प्रणाम, जो 45 डिग्री में भी घर-घर गए. लोग कहते थे, आने की जरूरत नहीं है. कार्यकर्ता कहते थे, नहीं ये हमारा काम है.

बीजेपी के उन लाखों कार्यकर्ताओं का हृदय से अभिनंदन. मैं प्रचार के दौरान छोटे छोटे बच्चों के स्लोगन देखता था. एक एक साल के दो दो साल के बच्चे. अबकी बार (भीड़ चिल्लाती है मोदी सरकार. यू ट्यूब पर देख रहा था कि अभी अभी बोलना सीखने वाले बच्चे भी बोलते, अबकी बार मोदी....इसका मतलब ये हुआ कि 15-16 साल के बाद जब चुनाव उनके लिए चुनाव आएंगे, तो उसकी वोट भी तैयार हो गई. यही लोकतंत्र की ताकत है. पीढ़ी पर पीढ़ी लोग जुड़ते चलें. कारवां बढ़ता चले. फिर एक बार आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

वंदे मातरम.

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