scorecardresearch
 

गूगल सर्च में जोड़तोड़ भारतीय चुनाव में वोटों को कर सकती है प्रभावित

भारत में हाल में संपन्न लोकसभा चुनावों के संबंध में किया गया विश्‍लेषण बताता है कि गूगल खोज के परिणामों को बदलना लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है. क्योंकि यह उन मतदाताओं की पसंद पर बड़ा असर डालता है जो अनिर्णय की स्थिति में हैं और जहां कांटे का मुकाबला है, वहां वोटों को एक ओर झुका सकता है.

Advertisement
X

भारत में हाल में संपन्न लोकसभा चुनावों के संबंध में किया गया विश्‍लेषण बताता है कि गूगल खोज के परिणामों को बदलना लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है. क्योंकि यह उन मतदाताओं की पसंद पर बड़ा असर डालता है जो अनिर्णय की स्थिति में हैं और जहां कांटे का मुकाबला है, वहां वोटों को एक ओर झुका सकता है.

Advertisement

हालिया सप्ताह में भारत में किए गए अध्ययन में बताया गया है कि गूगल में चुनावों को फिक्स करने की ताकत है और इसके लिए किसी को कोई बहुत अधिक दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है. शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि ऐसा संभव होता है लोगों के विचारों पर पड़ने वाली गूगल सर्च की खोज रैकिंग से.

अध्ययनों में पाया गया कि जिस खोज की रैंकिंग जितनी अधिक होती है, उसके परिणामों पर लोग उतना ही अधिक भरोसा करते हैं और यही वजह है कि कंपनियां अपने उत्पाद की रैंकिंग बढ़ाने के लिए अरबों रुपये खर्च करती हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार यदि मोदी के मुकाबले अरविंद केजरीवाल के पक्ष में खोज परिणामों को अधिक रैंकिंग मिली है तो इससे वोट केजरीवाल के पक्ष में जाते हैं.

पिछले साल अमेरिका में किए गए शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में खोज रैंकिंग अनिर्णय में पड़े मतदाताओं की पसंद को उस उम्मीदवार के पक्ष में 15 फीसदी या उससे अधिक तक बढ़ा सकती है.

Advertisement
Advertisement