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गलत तथ्य दे रहे हैं केजरीवालः गुजरात सरकार

गुजरात सरकार के प्रवक्ता ने बुधवार को अरविंद केजरीवाल के वक्तव्यों की आलोचना करते हुए बयान जारी किया. प्रवक्ता के अनुसार केजरीवाल ने गुजरात सरकार और मोदी के बारे में कुछ झूठी बातें कहीं थीं. गुजरात सरकार ने इससे सम्बंधित कुछ तथ्य पेश किए हैं.

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अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल

गुजरात और यहां के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगाए गए केजरीवाल के आरोपों को सरासर झूठा बताते हुए गुजरात सरकार ने बुधवार को एक बयान जारी किया. इस दौरान गुजरात सरकार के प्रवक्ता ने तथ्यों से संबंधित दस्तावेज भी पेश किया.

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उन्होंने कहा, ‘केजरीवाल ने कहा था कि गुजरात में साठ हजार लघु और मंझोले उद्योग बंद हो चुके हैं. गुजरात सरकार के अनुसार यह सरासर झूठ है. गुजरात में 5.19 लाख लघु और मंझोले उद्योग हैं. केन्द्र सरकार द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार बाईस फीसद यूनिटें बंद हो गईं थी. 2006-07 में यह आंकड़ा बारह फीसदी तक आ गया. 31 मार्च 2012 में गुजरात में सिर्फ पांच फीसदी लघु और मंझोले उद्योग बंद हुए. जब 15.9 लाख लघु और मंझोले उद्योगों का सिर्फ पांच फीसदी हिस्सा ही बंद हुआ है. अब आप केजरीवाल के झूठे आरोपों की कल्पना कर सकते हैं. लघु और मंझोले उद्योगों के मामले में गुजरात एक अग्रणी राज्य है. उत्पादन वृद्धि की दर भी गुजरात में ऊंची है. केजरीवाल ने ये तथ्य नहीं बताए.’

उन्होंने कहा, ‘केजरीवाल ने कहा यदि मोदी सत्ता में आए तो वह खुदरा में एफडीआई लाएंगे. इससे छोटे व्यापारी रोजगार खो बैठेंगे. प्रवक्ता के मुताबिक, बीजेपी का रुख एफडीआई पर पूरी तरह स्पष्ट है. पार्टी खुदरा बाजार में एफडीआई के खिलाफ है. केजरीवाल के मुताबिक गुजरात में पिछले दस साल में 5,874 किसानों ने आत्महत्या की. यह केजरीवाल का सबसे बड़ा झूठ है. दरअसल अपने पिछले गुजरात दौरे के दौरान केजरीवाल ने एक और झूठ बोला था. उन्होंने कहा था कि गुजरात में पिछले दशक में आठ सौ किसानों ने खुदकुशी की. वह भ्रामक आंकड़ों का जाल फैलाने को अति उत्साहित हैं. इसलिए अब पन्द्रह दिनों के भीतर ही यह संख्या 800 से बढ़कर 5,874 हो गई! यह एक उदाहरण है उनकी झूठे प्रचार प्रसार का. सच्चाई यह है कि पिछले दस सालों फसल की बर्बादी से सिर्फ एक किसान ने खुदकुशी की.’

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प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘केजरीवाल कहते हैं कि मोदी के सत्ता में आने के बाद किसानों से उनकी जमीन छीन ली जाएगी. उनकी जमीन बड़े उद्योगपतियों को दे दी जाएगी. सच तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट तक ने गुजरात सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति की तारीफ की है. किसानों से उनकी जमीन बाजार भाव पर ली जाती है. जमीन का अधिग्रहण बिना किसानों की सहमति के नहीं किया जाता. गुजरात दूसरे राज्यों के उलट बड़े किसान आंदोलन नहीं होते. यह हमारी किसानों के हित में बनाई गई नीतियों का नतीजा है.’

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