शिवसेना का मुखपत्र 'सामना ' हमेशा सुर्खियों में रहता है. शायद ये एकमात्र अखबार है जिसकी संपादकीय की इतनी चर्चा होती है. पार्टी की ही तरह अखबार भी बिलकुल बेबाक होकर अपने विरोधियों पर वार करता है. विरोधी पर वार करने के लिए जिन शब्दों का चयन किया गया है उन्हें पढ़कर यकीनन आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे. एक नजर एनसीपी पर 'सामना' के 7 कटाक्षों पर....
1. वानर चेष्टा: चुनाव हारने के बाद वापस गुलाटी मारकर सत्ता तक पहुंचना चाहते हैं. जनता इनके असली रूप से वाकिफ हो चुकी है इसलिए इनकी वानर चेष्टा अब किसी काम की नहीं.
2.हाफ चड्ढी: पवार हाफ चड्ढी वालों को जिंदगी भर कोसते रहे लेकिन चुनावों के बाद इन्ही हाफ चड्ढी वालों पर प्रेम आ गया. क्या पवार ने भी हाफ चड्ढी खरीद ली या जनता ने उनकी फुल पैंट काटकर हाफ कर दी है.
3. कीचड़ से सने है थोबड़े: चुनाव नतीजों के बाद इनके चेहरे कीचड़ से सन गए हैं. अब ये लोग विजयी लोगों के पीछे खड़े होकर फोटो खिंचाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ये कोशिश बेकार है क्योंकि कोई इनको पहचानेगा नहीं.
4.प्रेम का चंदन: हमेशा से बीजेपी के खिलाफ नफरत की आग उगलने वाले पवार और प्रफुल्ल पटेल अब जो बीजेपी प्रेम का चंदन घिस रहे हैं वो किसी काम का नहीं और कम से कम महाराष्ट्र हित में तो बिल्कुल भी नहीं है.
5.लोटांगण: भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे एनसीपी के नेता जेल जाने के डर से उगते सूरज के समक्ष लंबवत लोटांगण करने का प्रयास कर रहे हैं.
6.जन्मजात बाधिरत्व: बीजेपी के नेता हमेशा कहते रहे कि चाहे कुछ भी हो जाए हम एनसीपी का समर्थन नहीं लेंगे. शायद ये बात एनसीपी के नेताओं के कान में नहीं घुसे या संभव है कि वो जन्मजात बाधिरत्व (बहरापन) के शिकार है.
7. सत्ता के घोड़े: जनता ने पार्टी को चारे खाने चित कर दिया लेकिन फिर भी ये लोग राज्य में सत्ता के घोड़े दौड़ाने की कोशिश कर रहे हैं. राज्य की जनता के बीच ये मजाक का पात्र बने हुए हैं.