लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने संगठन को नए सिरे से गठित करने का काम शुरू कर दिया है. बुधवार को उन्होंने मंडल स्तरीय समीक्षा शुरू करते हुए संगठन के नए स्वरूप के अनुसार छह मंडलों को दो जोन में बांटते हुए इनके कोऑर्डिनेटरों व लोकसभा प्रभारियों की नियुक्ति कर दी.
अन्य मंडलों की समीक्षा का काम गुरुवार व शुक्रवार को भी जारी रहेगा. लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद मायावती ने मंगलवार को देश भर के जिम्मेदार पदाधिकारियों का राष्ट्रीय सम्मेलन किया था. इसमें संगठन के मौजूदा ढांचे को पूरी तरह खत्म करते हुए मौजूदा संगठन को भंग करने का ऐलान किया था. बुधवार से बसपा अध्यक्ष ने भंग संगठन के कोऑर्डिनेटरों, लोकसभा व विधानसभा का चुनाव लड़े प्रत्याशियों, जिलाध्यक्षों व जिला प्रभारियों के साथ हार के कारणों की मंडल स्तरीय विस्तृत समीक्षा शुरू की.
पहले दिन लखनऊ, फैजाबाद, इलाहाबाद, कानपुर, चित्रकूट व झांसी मंडल की समीक्षा की. आमतौर पर यह बात सामने आ रही है कि पार्टी में जिम्मेदार भूमिका में रहे कई नेताओं ने नेतृत्व को जमीनी हालात की सही जानकारी नहीं दी. वे हवा का रुख भांपने में नाकाम रहे. मायावती ने लखनऊ, फैजाबाद व इलाहाबाद मंडल के जिलों को मिलाकर पहला जोन गठित किया.
पूर्व मंत्री आरके चौधरी, निवर्तमान कोऑर्डिनेटर अखिलेश अंबेडकर व एमएलसी आरएस कुशवाहा को संयुक्त रूप से इस जोन का कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया. कानपुर, चित्रकूट व झांसी मंडल को मिलाकर दूसरा जोन बनाया. एमएलसी तिलकचंद अहिरवार, कमलेश भारती और एमएलसी नौशाद अली इस जोन के कोऑर्डिनेटर होंगे.
मायावती ने अपने स्तर से ही हर जिले में 12-12 लोकसभा प्रभारियों की भी नियुक्ति की है. इसमें सर्वसमाज को जोड़ने की मजबूत पहल करते हुए रणनीति के तहत दलित, पिछड़ा वर्ग, अपर कास्ट, अल्पसंख्यकों को भागीदारी दी है. नव नियुक्त जोन कोऑर्डिनेटरों को जिला, विधानसभा, सेक्टर व बूथ स्तर तक के संगठन के गठन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके अलावा यह बात भी तय हो गई है कि विधानसभा चुनाव लड़ चुके प्रत्याशी अब कोऑर्डिनेटर की भूमिका में नहीं रहेंगे. वह विधानसभा संयोजक के रूप में काम करेंगे.