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बुखारी और दामाद के रास्ते अलग-अलग, सपा के साथ ही रहेंगे उमर अली

लोकसभा चुनाव से पहले जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के बदले तेवर के बाद उनके दामाद उमर अली के सियासी भविष्य को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि बुखारी के बाद उनके दामाद भी सपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. लेकिन इन तमाम कयासों पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अली ने साफ कर दिया कि वो सपा में ही बने रहेंगे.

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लोकसभा चुनाव से पहले जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के बदले तेवर के बाद उनके दामाद उमर अली के सियासी भविष्य को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि बुखारी के बाद उनके दामाद भी सपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. लेकिन इन तमाम कयासों पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अली ने साफ कर दिया कि वो सपा में ही बने रहेंगे. मेरठ में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से मुलाकात के बाद अली ने कहा, 'मैंने उन्हें आश्वस्त किया है कि कहीं नहीं जाऊंगा और सपा में ही रहूंगा'. उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधान पार्षद हैं उमर अली.

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दरअसल कुछ दिनों पहले ही शाही इमाम ने मुस्लिमों से कांग्रेस के पक्ष में वोट करने की अपील की थी. इसके बाद दारुल उलूम देवबंद के उलेमा ने उनके इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी. हालांकि 2012 में विधानसभा चुनाव के लिए शाही इमाम ने ही उमर अली के लिए सपा से टिकट मांगा था जिससे नाराज काजी रशीद मसूद ने पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद बेहट विधानसभा से सपा के टिकट पर उमर अली ने चुनाव लड़ा और करारी हार का सामना किया. बावजूद इसके सरकार बनने के बाद उन्हें सपा ने एमएलसी बनाया.

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