बिहार में चौथे चरण में 7 जिलों की 55 विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहा है. यह चरण बिहार चुनाव के दोनों अहम पक्षों एनडीए और महागठबंधन के लिए काफी महत्वपूर्ण है. आइए जानते हैं क्यो ये चुनाव है काफी अहम. क्या है इन सीटों का सियासी समीकरण:
पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़ें
हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा के चुनावों के मद्देनजर अगर आकड़ों पर नजर डालें तो बीजेपी पर सबसे अधिक दबाव होगा. 2010 के विधानसभा चुनावों में इस इलाके में केवल बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी हीं खाता खोल सकी थी. 2010 के चुनाव में बीजेपी ने इस चरण की 55 सीटों में से 26 पर जीत दर्ज की थी. जेडीयू के खाते में 24 और आरजेडी को 2 सीट्स मिली थीं. जबकि तीन निर्दलीय कैंडिडेट्स जीते थे.
इस बार स्थिति क्यों है बदली हुई?
वर्ष 2010 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी जेडीयू के साथ मिलकर मैदान में उतरी थी, लेकिन इस बार समीकरण बदल गए हैं. एनडीए में बीजेपी के साथ एलजेपी, HAM और आरएलएसपी है, वहीं महागठबंधन में आरजेडी-जेडीयू और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. 2010 में आरजेडी ने एलजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस और एलजेपी ऐसी पार्टी थीं जिन्हें एक भी सीट नहीं मिली थी.
-लोकसभा चुनावों की अगर बात करें तो एनडीए ने इन 7 जिलों पर जीत दर्ज की थी.
पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, शिवहर, गोपलागंज, मुजफ्फपुर और सीवान पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, वहीं सीतामढ़ी पर आरएलएसपी का कैंडिडेट जीता था.
-लोकसभा चुनावों को अगर विधानसभा सीटों में प्रदर्शन के आधार से देखें तो एनडीए ने इन 55 सीटस में से 53 सीटस पर जीत दर्ज की थी लेकिन विधानसभा चुनाव में स्थिति अलग हो सकती है.
-एनडीए की सहयोगी आरएलएसपी को एनडीए के साथ आने के बाद यहां से खाता खुलने की उम्मीद है. आरएलएसपी ने 4 कैंडिडेट्स उतारे हैं. वहीं, कांग्रेस 8 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
चौथे चरण में इन 7 जिलों में हो रहा है मतदान-
पश्चिम चंपारण
पूर्वी चंपारण
शिवहर
सीतामढ़ी
मुजफ्फरपुर
गोपालगंज
सीवान
इस चरण के प्रमुख उम्मीदवार
इस
चरण में मंत्री रमई राम के अलावा लवली आनंद, रंजू गीता, मनोज कुमार सिंह,
पूर्व मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह, विनय बिहारी, शाहिद अली खान जैसे
दिग्गजों के भाग्य का फैसला होना है.