लोकसभा चुनावों के छठे चरण के करीब पहुंचने के बीच एक नई अध्ययन रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि पिछले पांच साल में देश में हुए विभिन्न चुनावों में कुल राशि डेढ़ लाख करोड़ रुपये से ऊपर की राशि खर्च की गई और इसमें से आधे से अधिक धन बेहिसाब स्रोतों से आया था.
सेंटर फॉर मीडिया (सीएमएस) द्वारा कराया गया यह अध्ययन ऐसे समय में सामने आया है जब कई राजनीतिक दल इस बार के लोक सभा चुनावों में एक दूसरे पर कालेधन का इस्तेमाल करने आरोप लगा रहे हैं. सात अप्रैल को शुरू यह चुनाव 12 मई तक चलेगा. अभी तक पांच चरणों में 232 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुके हैं, जबकि बाकी चार चरण में 311 सीटों पर मतदान होने हैं.
इस दौरान निर्वाचन आयोग ने कालेधन के प्रयोग पर निगरानी तेज करते हुए देशभर में बड़ी मात्रा में नकदी और अन्य प्रतिबंधित चीजें बरामद की हैं. सीएमएस के अध्ययन के मुताबिक पिछले पांच साल में भारत में कई चुनावों के दौरान 1,50,000 करोड़ रुपये से अधिक धन खर्च किया गया.
तीस हजार करोड़ रुपये लोकसभा चुनावों पर खर्च
सीएमएस के चेयरमैन एन. भास्कर राव ने बताया कि यह एक मोटा अनुमान है. इस भारी भरकम राशि में से आधे से अधिक
राशि कालाधन है. चुनावों के लिए कालेधन का इस्तेमाल हमारे देश में सभी भ्रष्टाचार की जननी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि डेढ़ लाख करोड़ रुपये में से 20 प्रतिशत या 30,000 करोड़ रुपये चालू लोक सभा चुनावों में खर्च किए जाने का अनुमान है. इस कुल राशि का एक तिहाई या 45,000 से 50,000 करोड़ रुपये राज्यों के विधान सभा चुनावों में खर्च किए गए.
दस हजार करोड़ रुपये जिला परिषद के चुनावों पर खर्च
रिपोर्ट के मुताबिक करीब 30,000 करोड़ रुपये पंचायतों के चुनावों पर, 20,000 करोड़ रुपये मंडलों के लिए, 15,000 करोड़ रुपये नगर निगमों के लिए और 10,000 करोड़ रुपये जिला परिषदों के लिए खर्च किए गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा चुनावों में मीडिया प्रचार अभियान (25 प्रतिशत) और सत्तारूढ़ पार्टियों द्वारा चुनाव पूर्व खर्च (20 से 25 प्रतिशत) का इसमें अहम हिस्सा है.
छोटे चुनावों में मीडिया पर भी खर्च कम
अध्ययन के मुताबिक छोटे चुनावों में चीजें अलग होती हैं. मीडिया पर खर्च बहुत कम होता है और मंडलों व पंचायतों में रैलियों पर खर्च एक तरह से न के बराबर होता है. उन्होंने दावा किया कि स्थानीय चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा खर्च 10 प्रतिशत से कम होता है, जबकि लोकसभा चुनाव में यह 20 प्रतिशत होता है. वहीं दूसरी ओर, लोकसभा के मामले में उम्मीदवार द्वारा पार्टी टिकट हासिल करने के लिए बहुत अधिक धन खर्च किया जाता है.