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J-K में सत्ता पर सस्पेंस बरकरार, BJP के सामने पीडीपी की कड़ी शर्तें

कश्मीर में किसकी सरकार बनेगी फिलहाल इस पर सस्पेंस बरकरार है. पीडीपी ने शनिवार को जम्मू कश्मीर में नई सरकार के गठन के लिए उसे लुभा रही बीजेपी के सामने कड़ी शर्तें रखी और कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ उसके रुख पर कोई समझौता नहीं हो सकता.

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J-K में सत्ता पर सस्पेंस बरकरार
J-K में सत्ता पर सस्पेंस बरकरार

जम्मू-कश्मीर में किसकी सरकार बनेगी फिलहाल इस पर सस्पेंस बरकरार है. पीडीपी ने शनिवार को जम्मू कश्मीर में नई सरकार के गठन के लिए उसे लुभा रही बीजेपी के सामने कड़ी शर्तें रखी और कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ उसके रुख पर कोई समझौता नहीं हो सकता. J-K: उमर बोले-माइंड गेम खेल रही है PDP

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पीडीपी ने संकेत दिए कि उसके लिए बीजेपी के साथ काम करना मुश्किल हो सकता है. पीडीपी ने यह भी कहा कि वह विवादित सैन्य बल विशेषाधिकार अधिनियम को हटाने के लिए प्रतिबद्ध है जिसे बीजेपी शायद ही स्वीकार करे. हालिया विधानसभा चुनावों में पीडीपी को सबसे अधिक 28 जबकि बीजेपी को 25 सीटें मिली हैं.

राज्यपाल एनएन वोहरा द्वारा सरकार गठन के प्रस्ताव पर साथ आने के लिए पीडीपी और बीजेपी के लिए 01 जनवरी की समयसीमा तय करने के बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस सहित सभी प्रमुख दलों में अनौपचारिक बातचीत तेज हो गई है.

पीडीपी ने आधिकारिक रूप से कहा, ‘सभी विकल्प खुले हैं और अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है.’ लेकिन खबर है कि उसे बीजेपी के साथ गठजोड़ को लेकर अपने कई नवनिर्वाचित विधायकों से कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है. पीडीपी के पास अगला विकल्प 12 विधायकों वाली कांग्रेस पार्टी और 15 विधायकों वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस का समर्थन स्वीकार करना है. वह इन दोनों दलों के साथ संपर्क में है क्योंकि वह बीजेपी से हाथ मिलाने को लेकर दुविधा में है.

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राजनीतिक हलके में अटकल है कि अगर बीजेपी का पीडीपी के साथ समझौता नहीं हो पाता है तो बीजेपी 01 जनवरी तक 30 विधायकों की सूची राज्यपाल को सौंपकर यह दिखा सकती है कि उसके पास पीडीपी से दो अधिक विधायकों का समर्थन है और ऐसे में राज्यपाल द्वारा सरकार गठन के लिए पहले पीडीपी को बुलाने की संभावनाएं क्षीण हो जाएंगी. ऐसी स्थिति में, पीडीपी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस सहित कम से कम 55 विधायकों का समर्थन पेश कर सकती है.

बीजेपी ने शनिवार को कहा कि वह सरकार बनाने की प्रक्रिया में शामिल है. पार्टी महासचिव राम माधव ने कहा, ‘हमें जम्मू कश्मीर में महत्वपूर्ण जनादेश मिला. हम सरकार गठन (प्रक्रिया) में शामिल होंगे. बातचीत चल रही है. देखते हैं कि क्या होता है.’

उन्होंने कहा कि वह किसी तरह से एक स्थिर सरकार के गठन का रास्ता खोजना चाहते हैं. चीजें बहुत शुरुआती चरण में हैं और किसी शर्त पर चर्चा नहीं हो रही है. माधव ने कहा, ‘सर्वश्रेष्ठ गठजोड़ राज्य में स्थिर सरकार का होना होगा. हम यह खोजने का प्रयास करेंगे कि सर्वश्रेष्ठ गठजोड़ क्या होगा. हिचकिचाहट, अगर है, तो दोनों तरफ है. बीजेपी को राज्य में बहुत महत्वपूर्ण जनादेश मिला है और उसने सर्वाधिक वोट और दूसरी सर्वाधिक सीटें हासिल की हैं.’

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माधव ने कहा, ‘स्वाभाविक रूप से, जनादेश के आधार पर, हम पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे जनादेश पाने वाले लोगों की मदद के साथ राज्य को सुशासन देने की कोशिश कर रहे हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जहां सरकार अन्य दलों के समर्थन के बगैर नहीं बन सकती.’

इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख और निवर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अपने माता-पिता से मिलने के लिए शनिवार दोपहर लंदन रवाना हुए. उनके माता-पिता की वहां सर्जरी हुई है. उमर के अब न्यू ईयर के बाद ही लौटने की उम्मीद है.

इनपुट भाषा से

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