एनडीए में शामिल होने के बाद आज तक को दिए अपने पहले इंटरव्यू में लोकजन शक्ति पार्टी (एलजेपी) के नेता रामविलास पासवान ने कहा कि उन्होंने बीजेपी से इसलिए हाथ मिलाया क्योंकि यूपीए में उन्हें अपमानित किया गया था.
उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ आना एक कठिन निर्णय था. जब भी आरजेडी या कांग्रेस से गठबंधन की बात करते तो कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती थी. आरजेडी वाले कहते थे कि पहले कांग्रेस से बात करेंगे. कांग्रेस से बात करें तो वहां कई समितियां थीं. पता ही नहीं चलता था कि कौन निर्णय ले रहा है. सीपी जोशी, अंतुले, शिंदे इन सबकी समितियां चलती थीं. एक सोनिया के यहां समिति थी और एक राहुल के यहां. पता ही नहीं चलता था कि कौन फैसला लेगा. उन्होंने कहा, 'एनडीए में आने का फैसला पार्टी के नेताओं का था.'
उन्होंने कहा कि मोदी विकास के बारे में भी बोलते हैं. हम आज भी सेक्युलर हैं और कल भी रहेंगे. विकास के मुद्दे पर हम एनडीए में गए. गठबंधन का फैसला पार्टी नेताओं ने लिया. एनडीए का गठबंधन यूपीए से बेहतर है. एनडीए में घटक दलों का सम्मान किया जाता है'.
उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया कि एनडीए में शामिल होने का फैसला बेटे या परिवार के दवाब लिया गया. उन्होंने कहा कि दलितों और अल्पसंख्यकों के प्रति हमारा मिशन कायम रहेगा.'
उन्होंने कहा कि इसमें दो मत नहीं है मोदी मजबूत नेता हैं. मजबूत व्यक्तित्व के हैं. उनका एजेंडा सांप्रदायिक नहीं है. उनका विकास का मुद्दा है. हम विकास के मुद्दे को लेकर ही बीजेपी के साथ गए है. देश का हर शख्स और हर जाति-धर्म के लोग विकास चाहते हैं.
आपको बता दें कि वर्ष 2002 के गुजरात दंगे को लेकर 12 साल पहले एलजेपी सुप्रीमो रामविलास पासवान ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था. लेकिन कुछ दिनों पहले वह फिर से एनडीए में शामिल हो गए.