नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर देश छोड़ने की बात कह चुके मशहूर राइटर यू आर अनंतमूर्ति ने अपने बयान से यू-टर्न मारते हुए कहा कि ये टिप्पणी उन्होंने भावनाओं में बहकर की थी और उनकी ऐसी कोई योजना नहीं है.
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वो बीजेपी का विरोध जारी रखेंगे. अनंतमूर्ति ने कहा कि वह लचीली सरकार के पक्षधर हैं जो विभिन्न मांगों को पूरा कर सकती हो. वह मजबूत सरकार के पक्ष में नहीं हैं जो एकरूपता थोप दे. उन्होंने योजना आयोग की सैयदा हमीद और साहित्यकार अशोक वाजपेयी की उपस्थिति में कहा, कुछ महीने पहले बेंगलूरु में एक बैठक में मैं भावनाओं में बह गया था.
उन्होंने कहा, 'मैंने कहा था कि मैं ऐसे देश में नहीं रहूंगा जहां मोदी प्रधानमंत्री हों. यह कुछ ज्यादा ही बोलना था क्योंकि मैं भारत के अलावा कहीं और नहीं जा सकता.' बहरहाल उन्होंने कहा कि अगर मोदी सत्ता में आए तो इसके परिणामस्वरूप हमारी सभ्यता में बदलाव आ जाएगा.
अनंतमूर्ति ने कहा, 'मेरी यह भावना है कि जोर जबरदस्ती दिखाने पर हम लोकतांत्रिक या नागरिक अधिकार धीमे-धीमे गंवाने लगते हैं. लेकिन इससे बड़ी बात यह है कि जोर जबरदस्ती होने पर हम कायर बन जाते हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि मोदी के उदय के लिए माहौल तैयार किया जा रहा है और मीडिया एवं उदारवादी भी इसे तैयार कर रहे हैं.
उनसे यह पूछा गया कि क्या वह इस बात को लेकर भयभीत हैं कि अगर मोदी सत्ता में आए तो देश नरसंहार और हिंसा से ग्रस्त हो जाएगा. इस पर उन्होंने कहा, 'हां, यह एक बुनियादी भय है. लेकिन यह धीमे-धीमे अपराजेय ढंग से इस प्रकार भी हो सकता है कि हम लगातार बदलते जाएं और हमारा पूरा भारतीय स्वरूप ही बदल जाए. यह रक्तपात और उस जैसी चीजों से भी बदतर होगा.'