उत्तर प्रदेश का करहल विधानसभा उपचुनाव (Karhal Bypolls) इस वक्त बड़ी सुर्खियां बटोर रहा है. इसके पीछे की वजह हैं समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप यादव. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी से मुलायम सिंह यादव के दामाद अनुजेश प्रताप यादव मैदान में हैं. करहल विधानसभा में वैसे तो एसपी का दबदबा कायम रहा है लेकिन बीजेपी एक बार 2002 में बाजी मार चुकी है. विधानसभा में जो जाति समीकरण है, वो एसपी के पक्ष में ज्यादा नजर आता है.
क्या है करहल का जातीय समीकरण?
करहल विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 382378 है, जिसमें 207457 पुरूष मतदाता और 174917 महिला मतदाता हैं. करहल विधानसभा सीट पर मतदाताओं के जातिगत आंकड़े कुछ इस तरह हैं. इलाके में यादव 30 फीसदी, शाक्य 15 फीसदी, ठाकुर 9 फीसदी, ब्राह्मण 6 फीसदी, लोधी 3 फीसदी, एससी 14 फीसदी, मुस्लिम 5 फीसदी और अन्य मतदाता 18 फीसदी हैं.
विधानसभा में सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं, जिनकी तादाद 30 फीसदी है. यहां पर एसपी और बीजेपी दोनों के प्रत्याशी यादव वर्ग से हैं. इसके अलावा दो अन्य प्रत्याशी भी यादव समाज से हैं. इलाके में दूसरे नंबर पर शाक्य मतदाता हैं, जिनकी तादाद 15 फीसदी है. बीजेपी पहले सह-प्रत्याशी पर विचार कर रही थी लेकिन तब तक बीएसपी ने डॉक्टर अवनीश शाक्य को टिकट देकर बीजेपी की रणनीति को झटका दे दिया.
बीएसपी ने डॉक्टर अवनीश शाक्य को टिकट दिया है. अगर यादव वर्ग के मतदाता विभाजित हुए तो बीएसपी को मजबूती मिल सकती है क्योंकि करहल विधानसभा में शाक्य 15 फीसदी के साथ अगर दलित मतदाताओं का साथ मिला, तो यह लड़ाई त्रिकोणीय भी हो सकती है. क्योंकि दलित मतदाता 14 फीसदी हैं, शाक्य और दलित का यह गठजोड़ 29 फीसदी कहीं सपा और भाजपा पर भारी न पड़ जाए.
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एक तरफ एसपी और बीजेपी कार्यकर्ता सम्मेलन बनकर सभाएं कर रहे हैं, तो वहीं बसपा प्रत्याशी अवनीश शाक्य घर-घर जाकर लोगों के पैर छूकर आशीर्वाद ले रहे हैं. इनका ज्यादा फोकस दलित और शाक्य बहुल गांव में ज्यादा से ज्यादा चुनाव प्रचार करने पर है. लेकिन जब बसपा प्रत्याशी से शाक्यों के समर्थन के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि साथियों के साथ-साथ उन्हें सर्व समाज का समर्थन मिल रहा है और वह अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. यही वजह है कि भाजपा और सपा दोनों ही अपने-अपने बेस वोट बैंक के अलावा शाक्य और दलित मतदाता को अपने-अपने पाले में खींचने की कोशिश कर रहे हैं.
फिलहाल, सभी प्रत्याशी अपनी अपनी जीत का दावा करते नजर आ रहे हैं. अब ये तो मतगणना के दिन ही पता चलेगा कि जनता-जनार्दन किसको जीत का ताज पहनाती है.