द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने भारत द्वारा श्रीलंका के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा न लेने के फैसले की तीखी आलोचना करते हुए शुक्रवार को कहा कि अब कांग्रेस के साथ कोई चुनावी संधि संभव नहीं है.
करुणानिधि ने हाल ही में बयान दिया था कि द्रमुक शायद कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकता है. अपने इस बयान के संदर्भ में उन्होंने कहा कि जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के श्रीलंका संबंधी प्रस्ताव के संबंध में लिए गए भारत के निर्णय ने कांग्रेस के लिए तमिल दरवाजे स्थायी रूप से बंद कर दिए हैं.
करुणानिधि ने एक बयान में कहा कि इस फैसले पर भारत को अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव प्रायोजित किया और 22 अन्य देशों ने गुरुवार को प्रस्ताव पर मतदान किया. करुणानिधि ने कहा कि भारत का मतदान में हिस्सा न लेने का फैसला खुद के बच्चे को मार देने वाली मां के जैसा है.
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव में श्रीलंका में युद्ध के दौरान हुए कथित मानवाधिकारों के हनन की अंतर्राष्ट्रीय जांच का आह्वान किया गया था. कोलंबो ने अंतर्राष्ट्रीय जांच पर असहमति जताई थी. भारत ने प्रस्ताव पर गुरुवार को कहा था कि वह संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेपवादी दृष्टिकोण के खिलाफ है, जो राष्ट्रीय संप्रभुता को कमजोर करता है. करुणानिधि ने भारत सरकार के तर्क की निंदा की और कहा कि तमिलनाडु के कांग्रेस सदस्य भी यह तर्क स्वीकार नहीं करेंगे.
हालांकि 23 देशों के 47 सदस्यीय आयोग ने गुरुवार को बहुमत से यह प्रस्ताव पारित कर दिया. करुणानिधि ने कहा कि अगर भारत अन्य देशों के मामलों में दखलअंदाजी नहीं करने में यकीन रखता है तो यह दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद नीति या बांग्लादेश निर्माण में मदद जैसे मामलों में क्यों बोलता है?