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केजरीवाल की आहट से बनारस में 'झाडू' व्यपारियों की मौज

'तूने मारी एंट्रियां...दिल में बजी घंटियां...' फिल्मी गाने की ये लाइन, बनारस के झाड़ू व्यपारियों का हाल ए दिल बयां करने के लिए काफी है. शहर में केजरीवाल के आने की आहट भर से ही सालों से ठंडी पड़ी दुकान चल पड़ी है. चुनावी पर्व में यहां दीवाली मन रही है.

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'तूने मारी एंट्रियां...दिल में बजी घंटियां...' फिल्मी गाने की ये लाइन, बनारस के झाड़ू व्यपारियों का हाल ए दिल बयां करने के लिए काफी है. शहर में केजरीवाल के आने की आहट भर से ही सालों से ठंडी पड़ी दुकान चल पड़ी है. चुनावी पर्व में यहां दीवाली मन रही है.

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गुजरात के बाद अब काशी में भी केजरीवाल की रैली से पहले ही यहां झाड़ू की मांग अचानक बढ़ गई है.झाड़ू तैयार करने के लिए लगातार आर्डर मिल रहे हैं. कारोबारियों की मानें तो, केजरीवाल की रैली से पहले झाड़ू तैयार करने के लिए 60 हजार रुपये के आर्डर मिले हैं. यही वजह है कि व्यापारियों ने बड़े पैमाने पर झाड़ू तैयार करने का काम भी शुरू कर दिया है. मांग बढ़ने की वजह से असम और बंगाल से सींक मंगाए जा रहे हैं, ताकि समय पर झाड़ू तैयार किया जा सके.

कारोबारियों का साफ तौर पर कहना है कि उन्हें किसी भी राजनीतिक दल से कोई मतलब नहीं है. हां, इतना जरूर है कि झाड़ू का आर्डर मिलने से लोगों को बैठे बिठाये काम मिल गया है, वरना झाड़ू की ऐसी मांग तो दीपावली में ही होती है.

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बेनियाबाग में इस उद्योग से जुड़े असलम खान कहते हैं, 'झाड़ू की मांग दीपावली के दिन ज्यादा होती है, लेकिन केजरीवाल की रैली की वजह से पिछले दिनों इसके कारोबार में तेजी आई है'.

झाड़ू के कारोबार से शहर के करीब एक दर्जन से ज्यादा व्यापारी जुड़े हैं। इनमें छोटे से लेकर बड़े कारोबारी तक शामिल हैं. बेनियाबाग, लहरतारा, मडुवाडीह और पड़ाव के आसपास काम करने वाले कारीगर ज्यादातर इसी झाड़ू उद्योग से जुड़े हैं.

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