एम्स के पूर्व चीफ विजिलेंस ऑफिसर (सीवीओ) संजीव चतुर्वेदी को दिल्ली की केजरीवाल सरकार अपने एंटी करप्शन ब्यूरो का प्रमुख बना सकती है. सूत्रों के मुताबिक संजीव चतुर्वेदी से इस बारे में बातचीत हो चुकी है और अरविंद केजरीवाल के शपथ लेने के बाद उनकी नियुक्ति की जाएगी.
गौरतलब है कि संजीव चतुर्वेदी ईमानदार छवि के एक आईएफएस अधिकारी हैं, जिन्हें पिछले साल सितंबर में एम्स के सीवीओ पद से हटा दिया गया था. इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था और इसे लेकर एनडीए सरकार की काफी किरकिरी हुई थी. आम आदमी पार्टी ने उस वक्त भी यह मुद्दा उठाया था और उस वक्त के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और बीजेपी महासचिव और मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा पर आरोप लगाए थे.
गौरतलब है कि एम्स में अपने दो साल के कार्यकाल में चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार के 150 से ज्यादा मामलों को उजागर किया, जिसमें करीब 80 मामलों में आरोपियों को सजा हो चुकी है.
14 अगस्त 2014 को केंद्र की एनडीए सरकार ने संजीव चतुर्वेदी को एम्स के सीवीओ पद से हटा दिया था. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा था कि चतुर्वेदी का इस पद पर रहना असंवैधानिक है. डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट कर यह भी कहा था कि सीवीसी ने दो बार चतुर्वेदी का नाम खारिज किया, लेकिन बाद में खुद सीवीसी ने इस मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय से अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा था.
सीवीओ पद से हटाए जाने के बाद चतुर्वेदी ने सीवीसी के सामने अपना पक्ष रखा था. चतुर्वेदी ने सीवीसी को बताया कि बीजेपी नेता जेपी नड्डा के राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें सीवीओ के पद से हटाया गया है.
अपनी दलील में चतुर्वेदी ने सीवीसी के सामने जेपी नड्डा की ओर से स्वास्थ्य मंत्री को लिखी चिट्ठियां दिखाईं. इन चिट्ठियों में नड्डा ने न सिर्फ चतुर्वेदी को एम्स सीवीओ पद से हटाने की मांग की थी, बल्कि नए सीवीओ का नाम भी सुझाया था. जेपी नड्डा अब एनडीए सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं और हर्षवर्धन को विज्ञान और तकनीकी मंत्री बना दिया गया है.