आज बीजेपी संसदीय दल ने नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुन लिया. नाम के ऐलान के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने मोदी को जैसे ही गले लगाया, वह भावुक हो गए. फिर जब आडवाणी के बोलने की बारी आई तो उन्होंने अपने भावुक हो जाने की वजह बताई.
आडवाणी जी का भाषण-
जीवन में कुछ प्रसंग, कुछ क्षण ऐसे होते हैं, जिसे वह जीवन भर याद रखता है और कहता है, ये प्रसंग भी हुआ था. आज का प्रसंग उनमें से एक है. जैसे, नरेंद्र भाई ने कहा, नितिन जी ने कहा, वे इस कक्ष में पहली बार आए हैं. ये भी उनके जीवन में ऐतिहासिक प्रसंग बनेगा, बतौर पीएम नरेंद्र भाई को अनेक बार मौका मिलेगा यहां आने का. वह एक तरह से कह सकते हैं कि मैं तो प्रधानमंत्री बनने के बाद ही इस कक्ष में आया. मैं मानता हूं कि नरेंद्र भाई के माध्यम से अभियान चला. जिसके नतीजे दो दिन पहले आए और जिसके फलस्वरूप हम यहां बैठे हैं.
1946 में शुरू हुई थी संविधान सभा. मगर मैं भूल नहीं पाता हूं कि 1927 में यह संसद भवन बनकर तैयार हुआ. उसी साल मेरा जन्म हुआ. 1947 में आजादी मिली. तब एक ही तमन्ना होती थी कि भारत स्वतंत्र कब होगा. 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ. मैं उस समय कराची में था. बचपन से एक कमजोरी स्वभाव थी, अभी तक उत्तर नहीं खोज पाया हूं. एक बार रीडर्स डाइजेस्ट में आर्टिकल पढ़ा था. भावनात्मक लोगों की कोई आलोचना करे, प्रशंसा करे तो उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं. तब ये आर्टिकल पढ़ा था. ये एक इमोशनल कमजोरी है. लेकिन है.
मैं सोचता हूं 1947 से आज तक के प्रसंग. आजादी के दौरान आंख में आंसू आए. एक बार जब इमरजेंसी लगी, हम जेल में चले गए थे. वाजपेयी जी और मैं एक संसदीय समिति की मीटिंग के लिए बैंगलोर गए थे. वहीं गिरफ्तार हो गए. फिर जब ये खत्म हुई तो वैसे ही आंसू हुए. आज भी जब नरेंदर् भाई मिले और मैंने उनका अभिनंदन किया तो आंसू आ गए. ये सारे प्रसंग ऐसे हैं, जो याद दिलाते हैं कि जिस राजनीतिक पार्टी के जरिए मैंने देश सेवा करने की कोशिश की है, उसके लिए भी ऐतिहासिक प्रसंग हैं.
कल भी पत्रकार ने पूछा. जब पार्टी ऑफिस जा रहा था. आंखों में आंसू क्यों हैं. मैंने कहा, अवसर आएगा तो कह दूंगा. मैं मानता हूं कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी की कृपा है कि उन्होंने इन सबसे गुजरने का मौका दिया. एक बार फिर संसदीय दल की तरफ से बधाई. मैं इस बात पर बल देता हूं कि जिस तरह का समर्थन बीजेपी और नरेंद्र मोदी को मिला है, उसके कारण हम सबके ऊपर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी आई है और यकीन है कि हम इसे अवश्य पूरा करेंगे. मेरा अभिनंदन और प्रणाम स्वीकार करें.