नरेंद्र मोदी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाने के लिए बीजेपी का बिहार में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना अहम है. राज्य में हुए अब तक तीन चरणों के मतदान में एनडीए गठबंधन को आरजेडी-कांग्रेस मोर्चे से जोरदार टक्कर मिल रही है.
कई राजनीतिक जानकार इसे लालू प्रसाद की वापसी के तौर पर देख रहे हैं. 2009 लोकसभा चुनाव और 2010 विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद ज्यादातर लोगों ने लालू को खारिज कर दिया था, पर इस चुनाव में वे चौंकाने वाले नतीजे दे सकते हैं. जमीनी हकीकत यह है कि लालू का एम-वाई (मुस्लिम और यादव) समीकरण काम करता दिख रहा है.
बिहार के 40 सीटों पर आरजेडी अपने विरोधी बीजेपी और जेडीयू को मजबूत टक्कर दे रही है. ज्यादातर क्षेत्रों में यादव और मुस्लिम वोटरों का ध्रुवीकरण देखने को मिल रहा है. आपको बता दें कि यादव और मुस्लिम की जनसंख्या राज्य की आबादी का 28 फीसदी है.
24 अप्रैल को हुए मतदान में मुस्लिम बहुल क्षेत्र किशनगंज और अररिया में हुई बंपर वोटिंग के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि लालू प्रसाद और कांग्रेस के लिए आने वाले दिन अच्छे हैं.
छपरा में एक रैली में लालू ने कहा, 'जब मैं जेल गया तो लोगों ने मुझे खारिज कर दिया. लेकिन मेरी पारी अभी खत्म नहीं हुई है. सांप्रदायिक और फासीवादी ताकतों के खात्मे के बाद ही मैं खत्म होऊंगा.'
हालांकि, लालू प्रसाद सारे मुस्लिम वोट पाने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं. मुस्लिम मतदाताओं को लालू और नीतीश कुमार को वोट देने को लेकर बंटे हुए हैं.