बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने एक चुनावी रैली के दौरान वोटरों से वोट देने की अपील करते हुए कहा कि जो वोट नहीं देता है उससे मताधिकार छीन लेना चाहिए.
आडवाणी ने इस दौरान आश्चर्यजनक रूप से जवाहरलाल नेहरू को श्रद्धांजलि दी. मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाके में उन्होंने एक मजबूत लोकतंत्र की नींव रखने में मौलिक भूमिका निभाने के लिए जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी की प्रशंसा की.
नेहरू के लिए उनकी प्रशंसा मोदी के उस बयान के ठीक एक महीने का बाद आया जिसमें उन्होंने (मोदी ने) कहा था कि अगर सरदार पटेल देश के प्रथम प्रधानमंत्री होते तो आज भारत की स्थित बेहतर होती.
और जब बीजेपी केंद्र में सत्ता में लौटने के लिए मोदी की लहर की सवारी कर रही है आडवाणी इस मुद्दे पर चुप रहे और इसके बजाय सुशासन पर बार बार पार्टी के दो अन्य मुख्यमंत्रियों शिवराज सिंह चौहान और रमण सिंह के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री को बराबरी पर रखा.
उन्होंने कांग्रेस के गढ़ रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट के थांदला में कहा, ‘इन तीनों मुख्यमंत्रियों ने अच्छा काम किया है.’
अपने शिष्य शिवराज सिंह चौहान के साथ दशहरा मैदान में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप सिंह भूरिया का नाम तो लिया लेकिन उनके लिए वोट की अपील नहीं की. इस दौरान उन्होंने मोदी के लिए भी वोट की अपील नहीं की.
इसके बजाय वो चुनाव आयोग के ब्रांड एंबेसडर बने रहे और लोगों से बड़ी संख्या में वोट देने की अपील की. इस दौरान उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र के इस उत्सव में वोट जरूर दें.’
आडवाणी ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को लिखा है कि वो उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे जो वोट नहीं देते हैं.
उन्होंने कहा, ‘दुनिया में कुछ देश ऐसे भी हैं जहां मतदान नहीं करने वाले लोगों पर जुर्माना तक लगाया जाता है. ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया और स्वीटजरलैंड जैसे देशों में वोट देना अनिवार्य है.’
हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वो यह नहीं कह रहे हैं कि भारत में भी मतदान नहीं करने वालों पर जुर्माना लगाना चाहिए, लेकिन यहां यदि कोई मतदान नहीं करता है, तो उसे अगले चुनाव में वोट देने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.