बस चौदह दिन बाकी रह गए हैं. देश सत्ता के महासमर में कूदने वाला है. लेकिन सबके जेहन में एक ही सवाल है कि आखिर इस बार क्या होगा. कुर्सी की दौड़ में कौन जीतेगा, ये तो नतीजे के बाद पता चलेगा. लेकिन उससे पहले इंडिया टुडे ने जानने की कोशिश की लोगों की राय. 19 राज्यों में 12 हजार से ज्यादा लोगों पर सर्वे किया गया और फिर तैयार हुआ ओपीनियन पोल. किसके हाथों में आएगी कमान, कौन बनाएगा सरकार, कांग्रेस के हाथ होंगे मजबूत या खिलेगा एनडीए का कमल. थर्ड फ्रंट इस बार क्या गुल खिलाएगा. सत्ता की जंग में जीत का परचम कौन फहराएगा. सवाल कई हैं लेकिन चुनावी गणित बेहद पेंचीदा है.
इस बार कोई मुद्दा असर नहीं दिखा रहा. कहीं कोई लहर नज़र नहीं आ रही है. शख्सियतों का जादू नहीं चल पा रहा है, ऐसे में चुनाव के बाद क्या होगी देश की तस्वीर ये जानने की कोशिश की देश की जानी-मानी पत्रिका इंडिया टुडे ने. इंडिया टुडे ने एसी-नेल्सन के साथ मिलकर एक ओपीनियन पोल कराया. 19 राज्यों के लोगों से पूछी गई है उनकी पसंद कि किस पार्टी पर जनता को भरोसा है, किस गठबंधन को सौंपी जानी चाहिए सत्ता की कमान.
हालांकि ओपीनियन पोल के रुझान मौजूदा स्थितियों पर आधारित हैं और चुनाव में अभी थोड़ा वक्त बाकी है, लेकिन इस ओपीनियन पोल के नतीजों के आधार पर देश की भावी राजनीतिक तस्वीर मोटे तौर पर ज़रूर समझी जा सकती है. इंडिया टुडे के ओपीनियन पोल के मुताबिक, कांग्रेस से सहयोगी दलों का अलगाव यूपीए के लिए नुकसान देह हो सकता है. एनडीए के आंकड़ों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. सत्ता के आंकड़े में सबसे ज्यादा फायदे में रहेगा तीसरा फ्रंट.
बात अगर क्षेत्रवार आंकड़ों की की जाए, तो ओपीनियन पोल के लिए देश को चार हिस्सों में बांटा गया. उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम. उत्तर में सीटों के मामले में कमोबेश हालात पहले से ही रहेंगे. वोट शेयर में एनडीए पिछड़ सकता है. दक्षिण मेे यूपीए और एनडीए को नुकसान दिख रहा है और अन्य को फायदा ही फायदा.
पूरब में यूपीए यानी कांग्रेस को भारी नुकसान दिख रहा है और अन्य को भारी फायदा. पश्चिम में यूपीए और एनडीए अपनी-अपनी सीटों के साथ कायम रहेंगे. इंडिया टुडे के सर्वे के मुताबिक, एनडीए की हालत में कोई सुधार नहीं होगा और यूपीए को भारी नुकसान होगा तथा अन्य को बहुत फायदा होगा. ओपिनियन पोल में कुछ राज्यों से मिले आंकड़ों के मुख्य अंश निम्नलिखित हैं.:
उत्तर प्रदेश
-उत्तर प्रदेश में मायावती को महत्वपूर्ण बढ़त मिल सकती है.
-कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों को ही चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
-बहुजन समाज पार्टी को 30 सीटें मिल सकती हैं वहीं समाजवादी पार्टी को 29 सीटें मिलने की उम्मीद है.
-समाजवादी पार्टी को 6 सीटों का नुकसान होगा
-भाजपा और उसके सहयोगी दल 14 सीटों पर जीत हासिल कर सकते हैं
-बसपा को 2004 की तुलना में 11 सीटों का फायदा होगा
-भाजपा और रालोद को 4 सीटों का लाभ
-कांग्रेस को दो सीटों का नुकसान होगा
पंजाब
शिरोमणी अकाली दल और भाजपा का गठबंधन अभी भी राज्य में मजबूत स्थिति में
भाजपा और शिरोमणी अकाली दल मिलकर 10 सीटें जीत सकते हैं
2004 की तुलना में कांग्रेस को एक सीटा का फायदा हो सकता है
तमिलनाडु
कांग्रेस-डीएमके को 18 सीटों पर जीत मिल सकती है
कांग्रेस-डीएमके को राज्य में 8 सीटों का नुकसान होगा
भाजपा को एक सीट मिल सकती है
अन्य को 21 सीटों पर विजय मिल सकती है
59.9 प्रतिशत मत अन्य के पक्ष में जाएंगे
एआईएडीएमके अपने सहयोगी दलों के साथ 21 सीटें जीत सकती है.
दिल्ली
दिल्ली के चुनाव परिणामों में 2004 की तुलना में कोई बदलाव होने की उम्मीद नहीं है
दिल्ली में कांग्रेस को कुल मतों का 55 प्रतिशत मिलने की उम्मीद है
आंध्र प्रदेश
2004 में कांग्रेस को 34, टीआरएस को 5 ओर भाजपा व उसके सहयोगियों को 5 सीटें मिली थी
2009 में कांग्रेस को 21 सीट और अन्य को 18 सीटें मिल सकती हैं जबकि भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलेगी
टीडीपी और टीआरएस के पास आंध्र प्रदेश में 10 सीटें हैं
आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को 13 सीटों का नुकसान होगा और भाजपा को 5 सीटों का नुकसान होगा.