द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष मुत्तुवेल्लु करुणानिधि ने मंगलवार को अपने बड़े बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.के.अलागिरि को पार्टी से बर्खास्त कर दिया. अलागिरि की बर्खास्तगी से पार्टी में घमासान मचने की संभावना है. करुणानिधि ने कहा कि अलागिरि ने लोकसभा चुनाव के इस माहौल में पार्टी की आलोचना कर रहे थे और पार्टी सदस्यों व समर्थकों में गलतफहमी भी पैदा कर रहे थे, इसी कारण उन्हें बर्खास्त किया गया.
वहीं, अलागिरि ने दिलेरी दिखाते हुए कहा, 'बर्खास्तगी का मुझ पर कोई असर नहीं है. मैंने अभी तुरंत भोजन किया है और शांतिपूर्वक सोना चाहता हूं. हार मेरी नहीं, उनकी हुई है.'
यह पूछे जाने पर कि क्या वह नई पार्टी बनाएंगे, उन्होंने कहा, 'फिलहाल मेरी ऐसी कोई योजना नहीं है. अपने समर्थकों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही कोई निर्णय लूंगा.'
24 जनवरी को डीएमके ने अलागिरि (63) को अपने भाई एम.के. स्टालिन (61) का विरोध करने के कारण पार्टी से निलंबित कर दिया था. स्टालिन को पार्टी के शीर्ष पद के लिए चुना गया था जिसका अलागिरि ने विरोध किया था. दोनों करुणानिधि (89) के बेटे हैं.
करुणानिधि ने कहा कि अलागिरि को निलंबन के बाद अपने व्यवहार के बारे में स्पष्ट करने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अलागिरि को बर्खास्त करने का फैसला डीएमके महासचिव के. अनबाझगन के साथ परामर्श करने के बाद लिया गया है.
हाल ही में अलागिरि ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मुलाकात कर राजनीतिक गलियारे में सुगबुगाहट पैदा करने का प्रयास किया था.