मनमोहन सिंह के शपथग्रहण समारोह में या तो कुर्सियां कम लगाई गईं थी या फिर मेहमानों को ज्यादा बुला लिया गया था. कारण चाहे जो भी रहे हों, लेकिन हालत ये थी कि आडवाणी और मुलायम सिंह जैसे नेताओं को भी बैठने के लिए काफी देर तक जगह ढूंढनी पड़ी.
बीजेपी के नेता लालकृष्ण आडवाणी जब राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में घुसे तब तक पूरा हॉल कमोबेश भर चुका था. मेहमानों की अगुवानी में लगाए गए अधिकारी आडवाणी को आगे की तरफ लेकर आए लेकिन तब तक आगे की सारी कुर्सिंया भर चुकी थी. आडवाणी कहां बैठेंगे शायद ये पहले से तय नहीं था. अगुवानी में लगे अधिकारियों को भी समझ में नहीं आ रहा था कि आडवाणी को कहां बिठाया जाए.
आडवाणी को काफी देर तक खड़े रहना पड़ा. इस बीच राहुल गांधी ने ने उठकर उनसे दुआ-सलाम भी किया औऱ फिर बैठ गए. आडवाणी खड़े रहे इस इंतजार में कि उन्हें बैठने की जगह बताई जाए लेकिन वहां मौजूद सैकड़ों कांग्रेसी नेताओं में से किसी ने इतना सामान्य शिष्टाचार नहीं दिखाया कि उठकर आडवाणी के बैठने का इंतजाम करें. आखिरकार शरद पवार आगे आए और किसी तरह पीछे से एक कुर्सी का इंतजाम किया गया, तब जाकर आडवाणी बैठ सके.
देर से पहुंचे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह को भी काफी देर तक बैठने के लिए कुर्सी नसीब नहीं हुई. आगे की कतारों में सारी सीटें भरी देखकर मुलायम सबसे आखिरी कतार की कुर्सी पर जा बैठे. हालांकि बाद में दिग्विजय सिंह ने उन्हें हाथ पकड़ कर अपने साथ थोड़ी आगे की कतार में बिठाया.