धर्मनिरपेक्ष वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम से मुलाकात करने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को आड़े हाथ लेते हुए शिवसेना ने कहा कि यह 'लोमड़ी और भेड़िये' के अहिंसा और शाकाहार पर बात करने के समान है.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी के मुखपत्र सामना में कहा कि शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी और सोनिया गांधी के बीच एक बैठक हुई है और कहा गया कि उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव में धर्मनिरपेक्ष वोटों के बंटवारे को रोकने के बारे में विचार विमर्श किया. यह लोमड़ी और भेड़िये का मिलकर अहिंसा और शाकाहार के बारे में बात करने के समान है.
उन्होंने कहा कि अंतत: सोनिया गांधी को इमाम बुखारी के समक्ष झुकना पड़ा. यह कांग्रेस का खात्मा है. अब इमाम एक फतवा जारी करेंगे और मुस्लिमों से धर्मनिरपेक्ष वोटों को बंटने से रोकने के लिए कांग्रेस को वोट देने की अपील करेंगे. लेकिन इमाम द्वारा जारी किए गए फतवे को कौन सुनता है. इस्लाम में ऐसे फतवों की कोई जगह नहीं है. ठाकरे ने कहा कि इमाम और मौलवी महिलाओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली नेल पालिश एवं लिपस्टिक जैसे तुच्छ विषयों पर फतवे जारी करते हैं.
ऐसे फतवे मुस्लिमों के जीवन स्तर में सुधार करने में विफल रहे हैं. शिवसेना प्रमुख ने कहा कि मुस्लिमों में गरीबी समुदाय में निरक्षरता और अज्ञान के चलते हैं. यह पीढ़ियों से चला आ रहा है क्योंकि मुल्ला मौलवियों ने नई पीढ़ी को दरगाह एवं मदरसा की दीवारों में कैद कर रखा है. ठाकरे ने कहा कि अभी तक इमाम बुखारी ने गरीबी और अज्ञान की कमी को दूर करने के लिए कभी फतवा जारी नहीं किया.
शिवसेना प्रमुख ने कहा कि आपातकाल के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी जामा मस्जिद के इमाम की मदद मांगी थी. उस समय भी इमाम ने कांग्रेस को वोट देने के लिए फतवा जारी किया था. बहरहाल, उसके बावजूद कांग्रेस ने चुनाव गंवा दिया, जिससे पता चलता है कि मुस्लिमों ने उनके आदेश को पूरी तरह नकार दिया है.