पश्चिम बंगाल में अधिकारियों के तबादले को लेकर चुनाव आयोग और ममता बनर्जी सरकार आमने-सामने है. चीफ सेक्रेटरी संजय मित्रा ने मंगलवार को चुनाव आयोग को एक चिट्ठी लिखी है. मित्रा में चिट्ठी में लिखा है कि यदि अधिकारियों का तबादला होता है तो इससे प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगड़ जाएगी. वहीं, संभव है कि दोपहर 2:30 बजे तक अधिकारियों का तबादला नहीं होने पर आयोग इस संबंध में राष्ट्रपति से शिकायत करे.
गौरतलब है कि सोमवार को प्रदेश में निर्वाचन प्राधिकारियों ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पांच अधिकारियों के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद उन्हें चुनाव ड्यूटी से हटा दिया और चीफ सेक्रेटरी से चौबीस घंटों के भीतर उनका तबादला करने के आदेश जारी किए थे. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आयोग के इस कदम से नाराज हो गईं और उन्होंने आयोग के आदेश को मानने से इनकार कर दिया.
ताजा जानकारी के मुताबिक, आयोग की ओर से 24 घंटे के अंदर तबादले की समय सीमा खत्म होने के बावजूद यदि चीफ सेक्रेटरी संजय मित्रा अधिकारियों का तबादला नहीं करते हैं तो आयोग केंद्र सरकार के सचिव के जरिए राष्ट्रपति से शिकायत कर सकता है. बताया जाता है कि आयोग राष्ट्रपति से अपनी शिकायत में संजय मित्रा की ओर से आदेश का पालन नहीं करने के बाबत कार्रवाई की मांग भी कर सकता है. आयोग ने सोमवार को 2:30 बजे दिन में तबादले का आदेश जारी किया था.
मैं जेल जाने को तैयार: ममता
दूसरी ओर, नाराज ममता ने कहा है कि जब तक वह मुख्यमंत्री हैं तब तक किसी भी अधिकारी का तबादला नहीं होगा. उन्होंने चुनाव पैनल को अपने खिलाफ कार्रवाई की चुनौती देते हुए कहा कि वह गिरफ्तार होने और जेल जाने के लिए तैयार हैं.
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुनील गुप्ता ने बताया कि चुनाव ड्यूटी से हटाए गए पुलिस अधीक्षकों में आर के यादव (मालदा), हुमायूं कबीर (मुर्शिदाबाद), एसएमएच मिर्जा (बर्दवान), भारती घोष (पश्चिम मिदनापुर) और उत्तर 24 परगना के डीएम संजय बंसल शामिल हैं. चुनाव आयोग ने चीफ सेक्रेटरी संजय मित्रा से आदेश को तत्काल कार्यान्वित करने के लिए कहा था. साथ ही आदेश दिया कि राज्य सरकार आयोग को आवश्यक सूचना देकर, हटाए गए अधिकारियों को गैर चुनाव संबंधी पदों में नियुक्ति दे सकती है.
उधर, विपक्ष ने भी ममता बनर्जी के इस रवैये की कड़ी आलोचना की है. जबकि मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर चुनाव आयोग कानून और व्यवस्था को नियंत्रित करता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर कोई समस्या होती है तो ममता बनर्जी पर दोष मत मढि़ए. या तो ममता बनर्जी कानून व्यवस्था देखेगी या चुनाव आयोग कानून व्यवस्था देखेगा.
कांग्रेस की दया से नहीं पाई है सत्ता
ममता ने कहा कि वह आयोग या कांग्रेस की दया पर सत्ता में नहीं आई हैं और वह इस बाबत आयोग को चुनौती देती हैं. ममता ने कहा, 'आप जाएं और नरेंद्र मोदी के राज्य में या उस जगह पर कोई कदम उठाएं जहां से सोनिया गांधी चुनाव लड़ रही हैं. इसके बाद आप हम पर हाथ रखें. यह कहने के लिए मेरे साथ क्या करेंगे? ज्यादा से ज्यादा मैं गिरफ्तार कर ली जाउंगी और जेल भेज दी जाउंगी. राज्य से परामर्श के बिना तबादले के बाद अगर जंगल महल (माओवादियों के पूर्व गढ़) में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है तो इसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होगी.