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एमसीडी चुनावों की जीत में मैन ऑफ द मैच बने मनोज तिवारी

दिल्ली में एमसीडी चुनाव के लिए बीजेपी के स्टार प्रचारक और अध्यक्ष मनोज तिवारी जीत के बाद दिल्ली में एक नया चेहरा बनकर उभरे हैं.

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दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी

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दिल्ली में एमसीडी चुनाव के लिए बीजेपी के स्टार प्रचारक और अध्यक्ष मनोज तिवारी जीत के बाद दिल्ली में एक नया चेहरा बनकर उभरे हैं.

पार्टी नेता मनोज तिवारी में दिल्ली का भविष्य देखने लगे हैं. सभी तरफ मनोज तिवारी छाए हैं, चाहे मीडिया हो यह पार्टी के भीतर. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मनोज तिवारी की एक तो छवि साफ है, वह यंग हैं, सेलिब्रिटी हैं, न्यूट्रल माने जाते हैं और पूर्वांचल वोट बैंक पर असर रखते हैं, जिनका दिल्ली में अच्छा-खासा वोट बैंक है.

मनोज तिवारी को दिल्ली बीजेपी का अध्यक्ष बने कुछ समय हुआ है. इनके नेतृत्व में सबसे पहला चुनाव था, राजौरी गार्डन विधानसभा का उप चुनाव, जिसमें BJP ने आम आदमी पार्टी से सीट छीनी. उसके बाद आया MCD का चुनाव जिसमें पार्टी ने मनोज तिवारी के नेतृत्व में जीत की हैट्रिक लगाई और आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त दी.

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मनोज तिवारी की MCD के चुनाव में कैंपेन करने को लेकर अच्छी-खासी मांग थी. पार्टी सूत्र बताते हैं कि उम्मीदवार दिल्ली के बड़े नेताओं से ज्यादा मनोज तिवारी को अपने यहां कैंपेन के लिए बुलाना चाहते थे. मनोज तिवारी करीब 200 से ज्यादा उम्मीदवारों के लिए कैंपेन करने गए थे. भोजपुरी फिल्मों के गायक और अभिनेता होने के कारण मनोज तिवारी का कैंपेन करने का अपना तरीका है.

वह केजरीवाल पर हमला अपने अंदाज में करते हैं. इस कारण भी वह लोकप्रिय हुए और मीडिया की सुर्खियां बने. पार्टी ने मनोज तिवारी को दिल्ली तक ही सीमित नहीं रखा है बल्कि जब भी अन्य प्रदेशों में उनसे कैंपेन करवाने की जरूरत होती है उनको भेजा जाता है.

योगी आदित्यनाथ से खाई थी मात
मनोज तिवारी का राजनीतिक कैरियर बहुत ज्यादा लंबा नहीं है और BJP में तो बहुत पुराने भी नहीं है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मनोज तिवारी ने बीजेपी ज्वाइन की थी. आपको बताते चलें की ये वही मनोज तिवारी हैं, जो 2009 में गोरखपुर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर योगी आदित्यनाथ से टकराए थे, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने मनोज तिवारी को चुनाव में धूल चटा दी थी.

मनोज तिवारी उस चुनाव में बुरे तरीके से हारे थे, लेकिन फिर 2014 में मोदी लहर में दिल्ली से बीजेपी सांसद भी बने और पिछले कुछ समय में ही मनोज तिवारी ने दिल्ली बीजेपी के स्थापित और पुराने नेताओं के रहते अपनी नई पहचान बनाई है. चाहे वह विजय गोयल हों, डॉ हर्षवर्द्धन या फिर पूर्व मुख्यमंत्री साहब सिंह वर्मा के पुत्र सांसद प्रवेश वर्मा. मनोज तिवारी पार्टी में एक नया चेहरा बनकर उभरे हैं.

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उम्मीदों पर खरे उतरे
दिल्ली की विधानसभा चुनाव में BJP को मिली करारी हार के बाद सतीश उपाध्याय की जगह दिल्ली बीजेपी की कुर्सी के लिए नए चेहरे की तलाश थी. वह नया चेहरा पार्टी को मनोज तिवारी के तौर पर मिला, जो आगे चलकर पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरा. मनोज तिवारी के अध्यक्ष बनने के बाद दिल्ली में दो चुनाव हुए और दोनों में आम आदमी पार्टी को BJP ने अच्छे से हराया. इसके बाद तो मनोज तिवारी की लीडरशिप को पार्टी के भीतर और बाहर सराहा गया.

राजनीतिक जानकार तो उन्हें दिल्ली के इन चुनावों का मैन ऑफ द मैच कहने लगे हैं, लेकिन विरोधी मनोज तिवारी को कभी भी गंभीरता से नहीं लेते हैं. उनका कहना है कि भोजपुरी फिल्मों का गायक और अभिनेता केवल लोगों का मनोरंजन करता है, लोग उनको सुनने के लिए इकट्ठा होते हैं. वह गंभीर नेता नहीं है.

असली अग्निपरीक्षा 2019 में
अब मनोज तिवारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती और उनकी परीक्षा 2020 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर है. 2020 के विधानसभा चुनाव में तो BJP को सत्ता में लाना उनके लिए चुनौती होगा ही, लेकिन ठीक उससे पहले 2019 में लोकसभा के चुनावों में दिल्ली की सातों की सातों सीटों पर क्या BJP दुबारा कब्जा कर पाएगी, यह भी उनके लिए अहम होगा. तो 2020 से पहले 2019 उनके लिए असली अग्निपरीक्षा होगी.

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