दिल्ली एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी मुश्किल से जमानत बचा पाई. जी हां, सुनने में ये सवाल अजीब लगता है क्योंकि जमानत पार्टियों की नहीं बल्कि उम्मीदवारों की जब्त हुआ करती है लेकिन अगर उम्मीदवारों के फॉर्मूले को पार्टियों पर लागू करें तो एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी को मिली सीटों के आधार पर कहा जा सकता है कि वो मुश्किल से जमानत बचा पाई है.
गौरतलब है कि आज दिल्ली की तीनों एमसीडी में कुल मिलाकर 270 सीटों के चुनाव नतीजे आए हैं. बीजेपी को जहां इन चुनावों में 184 सीटों पर जीत मिली हैं तो वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस क्रमशः 46 और 30 सीटों पर ही जीत हासिल करने में सफल रही हैं. 10 सीटों पर यहां अन्य उम्मीदवारों की जीत हुई है.
किसी भी चुनाव में खड़े उम्मीदवार को अपनी जमानत बचाने के लिए कुल पड़े वोटों का कम से कम छठा हिस्सा हासिल करना होता है. इन चुनावों में ऐसे कितने उम्मीदवार रहे जो अपनी जमानत नहीं बचा पाए इसके आंकड़े तो पूरे नतीजे घोषित होने के बाद ही आएंगे लेकिन अगर सीटों के लिहाज से देखा जाए तो कहा जा सकता है कि पार्टियों को अपनी जमानत बचाने के लिए कम से कम 45 सीटें (270 का छठा हिस्सा) जीतनी चाहिए थीं. आम आदमी पार्टी 46 सीटें ही जीत सकी है जबकि कांग्रेस को तो महज 30 सीटें मिली हैं.
साफ है कि अगर उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने के फॉर्मूले को पार्टियों पर लागू किया जाए तो कहा जा सकता है कि दो साल पहले अभूतपूर्व जीत के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई आम आदमी पार्टी किसी तरह अपनी जमानत बचा पाई है. वैसे कुछ दिन पहले राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में भी आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पाया था जबकि ये सीट AAP के ही जरनैल सिंह के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी.