जहां तक सवाल सियासत का है, अक्सर जनता की यादद्दाश्त को छोटा माना जाता है. लेकिन एमसीडी चुनाव के नतीजों को देखकर लगता है कि दिल्ली की जनता केजरीवाल के अधूरे वादों को भूली नहीं. एक नजर ऐसे ही वादों पर जो अब तक हकीकत नहीं बने हैं.
नहीं मिटा भ्रष्टाचार
आम आदमी पार्टी का जन्म ही भ्रष्टाचार के खिलाफ हुआ था. सरकार में आने के बाद केजरीवाल ने लोगों से भ्रष्ट अधिकारियों का स्टिंग करके सरकार को भेजने के लिए कहा. जनलोकपाल बिल को पास करवाने का वादा तो खैर था ही. लेकिन जनलोकपाल बिल हकीकत की शक्ल इख्तियार कर पाया और सरकार का स्टिंग कार्यक्रम भी नाकाम रहा. कोई ये दावा नहीं कर सकता कि दिल्ली के दफ्तरों में अब घूसखोरी की बीमारी नहीं है.
वीआईपी कल्चर है बरकरार
केजरीवाल अपनी पार्टी के नाम की तर्ज पर आम आदमी के सीएम बनने के वादे के साथ सत्ता में आए थे. उन्होंने भले ही लाल बत्ती लेने से इनकार किया. लेकिन जल्द ही उनकी सेक्योरिटी में होने वाले खर्च पर सवाल उठने लगे. उनके सचिवालय में भी पत्रकारों का घुसना कठिन बना दिया गया. उनके चुनिंदा मंत्रियों ने भी ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि वो सत्ता के मद से परे हैं.
महिला सुरक्षा पर ठोस कदम नहीं
निर्भया कांड के बाद देश की राजधानी में महिला सुरक्षा आम आदमी पार्टी की प्राथमिकताओं में थी. लेकिन इसके लिए सार्वजनिक जगहों पर 10-15 लाख सीसीटीवी लगवाने का वादा पूरा नहीं हो पाया. इसी तरह 10 हजार महिला होमगार्ड की नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई है. न ही सरकार डीटीसी बसों में पूरी तरह महिला मार्शल तैनात कर पाई है.
नहीं मिला फ्री वाई-फाई
सत्ता में आने के 13 महीने बाद जून 2016 में केजरीवाल सरकार ने शहर में फ्री वाई-फाई नेटवर्क का एक प्लान सामने रखा. इस प्लान के तहत पूर्वी दिल्ली में 3 हजार हॉट स्पॉट पॉइंट से फ्री इंटरनेट देने का ब्लू प्रिंट तैयार हुआ. बाकी दिल्ली में फाइबर नेटवर्क को कमी बताई गई. लेकिन दिल्लीवालों के लिए अब तक फ्री वाई-फाई इंटरनेट एक सपना ही बना हुआ है.
मोहल्ला क्लिनिक का एजेंडा अधूरा
आम आदमी पार्टी मोहल्ला क्लिनिक को अपनी सबसे नायाब पहल के तौर पर पेश करती रही है. देश और विदेश की मीडिया में इसकी काफी चर्चा हुई भी है. लेकिन हकीकत ये है कि सरकार प्राथमिक उपचार, चुनिंदा टेस्ट और मुफ्त दवाइयां मुहैया करवाने वाले ऐसे सिर्फ 110 क्लिनिक खोल पाई है. इनमें से भी ज्यादातर किराये के कमरों में चलाए जा रहे हैं. जबकि केजरीवाल ने वादा किया था कि 2016 के आखिर तक शहर में ऐसे 1 हजार स्थायी क्लिनिक खोले जाएंगे.
सफाई कर्मचारियों को भूले केजरीवाल
दिल्ली की सत्ता में आने के बाद केजरीवाल सरकार का झगड़ा नगर निगम से छुपा नहीं है. फंड न देने की वजह से पिछले डेढ़ साल में कई बार दिल्ली कूड़े का ढेर बनी. लेकिन चुनावी वादे के मुताबिक, अभी तक सरकार की तरफ से सफाई कर्मचारियों को मेडिकल बीमा, सीवर की सफाई के लिए मास्क और कर्मचारी की मौत पर 50 लाख रुपये मुआवजा देने का कोई एलान नहीं किया है.
अन्य मुद्दों पर नाकामी
इसके अलावा केजरीवाल सरकार ने अब तक सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने के लिए 3000 छोटी बसें चलाने का वादा भी नहीं निभाया है. इसी तरह नौजवानों को नौकरी देने के मामले में भी खास काम नहीं हो पाया हैत. झुग्गियों में डेढ़ लाख शौचालय बनाने का वादा किया गया था. लेकिन इनमें से महज 5 हजार बन पाए हैं. ऐसी अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का आश्वासन भी कागजों तक ही सिमटा है.