लोकसभा चुनाव के मद्देनजर निर्वाचन आयोग भले ही राजनीतिक दलों और नेताओं पर लाख सख्ती कर ले, लेकिन हमारे राजनेता चुनाव पूर्व वोटरों को लुभाने का तरीका ढूंढ ही लेते हैं. ताजा मामला इस ओर नेताओं की ओर से चहेतों को ट्रेन में स्लीपर बर्थ दिलवाकर लुभाने का है. आलम यह है कि अकेले यूपी में माननीय हर रोज 75 से 110 आवेदनों के जरिए डीआरएम कोटे से आरक्षण दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक, मंत्रियों व राज्यमंत्रियों के निजी सचिव व पीआरओ उनके इलाके के कार्यकर्ताओं के लिए बड़ी तादाद में रोजाना आरक्षण मांग रहे हैं. लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले यूपी में माननीयों के आरक्षण की औसत मांग करीब 60 आवेदनों तक सीमित थी. लेकिन चुनाव नजदीक आते ही यह संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ने लगी है.
बताया जाता है कि इन दिनों मंडल यूपी के आठ डीआरएम कार्यालयों के साथ ही दिल्ली व गोरखपुर के जीएम दफ्तर में हर दिन औसतन 75 से लेकर 110 आवेदन आ रहे हैं. गौरतलब है कि रेलवे बोर्ड से चुनाव अधिसूचना के दौरान सांसदों के आवेदन पर दूसरों के लिए मांगी जाने वाली स्लीपर बर्थ के लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं है. ऐसे में कोटा आवंटित करने वाले अधिकारी खुद भी नहीं समझ पा रहे हैं कि उन्हें सांसदों की मांग पर कोटा देना चाहिए या नहीं.