अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी ने दावा किया है कि बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने उनके और जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेतृत्व के पास अपने दूत भेजे थे एवं कश्मीर मुद्दे के हल को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करने की पेशकश की थी ताकि अलगाववादी संगठन उनके प्रति नरम रूख अपनाएं.
बहरहाल, गिलानी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर ‘नरम’ नीति विकसित करने को लेकर उन्हें मोदी से कोई उम्मीद नहीं है और उन्होंने उनकी पेशकश मानने से साफ इनकार कर दिया.
अपने हैदरपुरा स्थित आवास पर गिलानी ने कहा, ‘मोदी ने एक मुहिम शुरू की है और यहां के लोगों से संपर्क कर रहे हैं. उन्होंने मेरे सहित अलगाववादी नेतृत्व से संपर्क किया है जो इस बात का संकेत है कि वह आजादी चाहने वाले धड़े में अपने लिए नरम रूख पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.’ बुधवार को दिल्ली से वापस आने के तुरंत बाद नजरबंद किए गए गिलानी ने कहा कि दो कश्मीरी पंडित 22 मार्च को मोदी के दूत बनकर उनके पास आए और कहा कि वह ‘कश्मीर मुद्दे पर प्रतिबद्धता’ हासिल करने के लिए ‘प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से’ मोदी से बात करें.
गिलानी ने कहा, ‘उन्होंने मुझसे कहा कि मोदी देश के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं और कश्मीर मुद्दे पर उनसे प्रतिबद्धता हासिल करने के लिए आप उनसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बात करें.’ हुर्रियत नेता ने कहा, ‘बहरहाल, मैंने उनकी पेशकश सिरे से खारिज कर दी. मैंने उनसे कहा कि मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आदमी हैं और उसी की विचारधारा के झंडाबरदार हैं. बीजेपी के नेता होने के नाते वह कश्मीर पर कोई व्यावहारिक नीति नहीं अपनाएंगे.’
गिलानी ने बताया कि उन्होंने दोनों दूतों से कहा कि 2002 में जब गुजरात में निर्दोष मुसलमान मारे गए थे, उस वक्त मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे. हुर्रियत नेता ने कहा, ‘हमें कोई उम्मीद नहीं है कि मोदी कश्मीर को लेकर कोई नरम रूख और कोई व्यावहारिक नीति अपनाएंगे. वह महज अपने लिए अलगाववादी खेमे में नरम रूख पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.’ किसी का नाम लिए बगैर गिलानी ने कहा कि उन नेताओं ने कश्मीर में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लोगों से मुलाकात की जिनका मानना है कि प्रधानमंत्री बनने पर मोदी कश्मीर को लेकर नरमी बरतेंगे.
'लोगों को मतदान से दूर रहने का भी हक'
चुनाव बहिष्कार के अपने फैसले का बचाव करते हुए गिलानी ने कहा कि जिस तरह लोगों को वोट डालने का अधिकार है, उसी तरह लोगों को मतदान से दूर रहने का भी हक है. उन्होंने लोगों से अपील की कि अलगाववादी नेताओं की कहीं भी, किसी भी वक्त की जा रही गिरफ्तारियों और उन पर लगाई गई पाबंदियों के खिलाफ 21 अप्रैल को बंद का आयोजन करें. उन्होंने 24, 30 अप्रैल और सात मई को ‘सिविल कर्फ्य’ का भी आह्वान किया. 24, 30 अप्रैल और सात मई को क्रमश: अनंतनाग, श्रीनगर एवं बारामुला लोकसभा सीट पर मतदान होना है.
बीजेपी ने खारिज किया गिलानी का दावा
बीजेपी ने इस बात का खंडन किया कि पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी से मिलने के लिए किसी दूत को भेजा है ताकि कश्मीर मुद्दे का हल निकालने का वादा करके अपने प्रति सहानुभूति पैदा कर सकें.
गिलानी के ऐसे दावों को ‘बदमाशी’ और निराधार बताकर खारिज करते हुए पार्टी ने एक बयान में कहा कि कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के लिए किसी भी दूत ने न तो गिलानी से मिलने का प्रयास किया और न ही उनसे भेंट की है. बयान में कहा गया है कि बीजेपी का यह रूख कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है बहुत स्पष्ट है और इसमें विचार-विमर्श की कोई गुंजाइश नहीं है.
बीजेपी नेता रामेश्वर चौरसिया ने कहा कि गिलानी जो बोल रहे हैं इसके लिए उन्हें देश को प्रमाण देना चाहिए. गिलानी के दावे पूरी तरह झूठ पर आधारित हैं और जनता को गुमराह करने के लिए है.
जवाब दें मोदी: कांग्रेस
कांग्रेस नेता मीम अफजल ने कहा कि ये बहुत संवेदनशील बात है. मोदी को इसका जवाब देना होगा कि आखिर कश्मीर में उनकी दिलचस्पी क्यों है.