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कांग्रेस मंत्रिमंडल का सफाया, 13 कैबिनेट मंत्री हारे

यूपीए-2 सरकार के लिए शुक्रवार का दिन बड़ा मनहूस रहा और उसके मंत्रिमंडल का लगभग सफाया हो गया. लोकसभा से चुनकर गए उसके 16 कैबिनट मंत्रियों में से 13 हार गए. इस मंत्रिमंडल में कुल 28 सदस्य थे जिनमें से 12 राज्यसभा से हैं. इसलिए वे बचे रह गए.

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सलमान खर्शीद, शिंदे और सिब्बल को मिली हार
सलमान खर्शीद, शिंदे और सिब्बल को मिली हार

यूपीए-2 सरकार के लिए शुक्रवार का दिन बड़ा मनहूस रहा और उसके मंत्रिमंडल का लगभग सफाया हो गया. लोकसभा से चुनकर गए उसके 16 कैबिनट मंत्रियों में से 13 हार गए. इस मंत्रिमंडल में कुल 28 सदस्य थे जिनमें से 12 राज्यसभा से हैं. इसलिए वे बचे रह गए.

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हारने वालों में विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और कानून मंत्री कपिल सिब्बल भी थे. ये सभी बुरी तरह हारे. सिब्बल तीसरे स्थान पर रहे जबकि खुर्शीद तो पांचवे स्थान पर रहे. कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, स्वास्थ्य मंत्री ग़ुलाम नबी आजाद, इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा और कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्री सचिन पायलट भी हार गए.

उर्वरक मंत्री श्रीकांत जेना, एचआरडी मंत्री एमएम पल्लम अपनी सीट बचाए रखने में सफल नहीं हुए. सचिन पायलट 1.70 लाख मतों से हारे तो बाकी दूसरे स्थान पर भी नहीं थे. कांग्रेस के सहयोगी दलों को भी जबर्दस्त मार पड़ी.

प्रफुल्ल पटेल (एनसीपी), फारुख अब्दुल्ला (नेका) और नागरिक उड्डयन मंत्री अजीत सिंह (रालोद) भी हार गए. ऐसा नहीं था कि सिर्फ वरिष्ठ मंत्री ही हारे, जूनियर मंत्री भी पराजित हुए. गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह, टेलीकॉम राज्य मंत्री मिलिंद देवड़ा, रक्षा राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह और एचआरडी के राज्य मंत्री जितिन प्रसाद भी हार गए. यह यंग ब्रिगेड राहुल गांधी की पसंदीदा थी और इनकी हार का सदमा उन्हें भी लगेगा.

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कई मंत्री तो चुनाव लड़ने से कतरा रहे थे और खड़े ही नहीं हुए. इनमें वित्त मंत्री पी चिदंबरम, रक्षा मंत्री ए के एंटनी, ग्रामीण मामलों के मंत्री जयराम रमेश और कृषि मंत्री शरद पवार भी चुनाव नहीं लड़े. मंत्रिमंडल के 90 प्रतिशत सदस्य या तो हार गए या चुनाव लड़े ही नहीं. यह शायद पहला मौका था कि इतनी बड़ी तादाद में मंत्री हारे. इसका मतलब साफ था कि जनता ने उन्हें नकार दिया.

लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार की पराजय भी पार्टी के लिए बड़ा धक्का है. वह सासाराम से अपनी पुरानी सीट से हार गईं. लेकिन कुछ मंत्री भाग्यशाली थे जो जीते. इनमें कमलनाथ, के वी थॉमस, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरप्पा मोइली और रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे थे. पार्टी का मानना था कि इन मंत्रियों की हार का कारण यह था कि उनके और कार्यकर्ताओं में संवादहीनता की स्थिति पैदा हो गई थी.

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