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अहमदाबाद से गायब हैं परेश रावल, प्रचार के लिए बचे केवल तीन दिन

अहमदाबाद में चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ तीन दिन बचे हैं. फिर भी पूर्वी अहमदाबाद से बीजेपी प्रत्याशी परेश रावल को कोई फिक्र नहीं.

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पूर्वी अहमदाबाद से बीजेपी उम्मीदवार हैं परेश रावल
पूर्वी अहमदाबाद से बीजेपी उम्मीदवार हैं परेश रावल

'मैं यहां सिर्फ यह पक्का करने आया हूं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनें'...पूर्वी अहमदाबाद से बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी परेश रावल ने सीना ठोककर यह दावा किया था. लेकिन अब जब चुनाव प्रचार के लिए महज तीन दिन बचे हैं, तो शहर में परेश रावल का कुछ अता-पता नहीं है. वहीं बीजेपी के नेताओं को भरोसा है कि अगर परेश रावल प्रचार नहीं भी करेंगे, तब भी जीत उन्हीं की होगी.

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पार्टी की ओर से परेश रावल की गैरमौजूदगी के कई कारण बताए जा रहे हैं. पहले कहा गया कि परेश अपनी दातों का इलाज करवा रहे हैं. दो दिन पहले वोट देने के लिए परेश रावल मुंबई में थे. फिर सफाई पेश की गई कि वह पद्म सम्मान स्वीकार करने के लिए में दिल्ली में हैं. इसके बाद बचे केवल दो दिनों में परेश रावल इलाके में चुनाव प्रचार करेंगे. इसके अलावा क्षेत्र में पार्टी के पोस्टर भी नाममात्र के लगाए गए हैं. लेकिन बीजेपी का कॉन्फिडेंस लेवल यह साफ-साफ बयां कर रहा है कि पार्टी को इससे ज्यादा मेहनत करने की जरूरत भी नहीं महसूस हो रही है.

गुजरात प्रदेश बीजेपी के नेता ने कहा,'पूर्वी अहमदाबाद में 60 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल करना बीजेपी के लिए मामूली बात है'. उन्होंने कहा, 'इसी क्षेत्र में नरेंद्र मोदी का विधानसभा क्षेत्र भी आता है. जाहिर है यहां लोग परेश रावल को 20 हजार वोटों की बढ़त से जीताएंगे'.

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इस बार बीजेपी ने पूर्वी अहमदाबाद से पिछले सात सालों से जीत हासिल करने वाले हरेन पाठक को दरकिनार कर परेश रावल को यहां से टिकट दिया है. परेश रावल ने दो साल पहले गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी के लिए प्रचार किया था. चुनाव अभियान के दौरान रावल मोदी के लिए इतने खास बन गए, कि इस बार रावल को इसी इलाके से लोकसभा का टिकट दे दिया.यही वजह है कि परेश रावल की जीत मोदी की नाक से जुड़ा है. दूसरी तरफ हरेन पाठक लालकृष्ण आडवाणी के चहेते माने जाते हैं. इसबार टिकट नहीं मिली तो वडोदरा में आडवाणी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं.

ऐसे में जरूरी है कि परेश रावल यहां से परचम लहराएं. यह ना सिर्फ पार्टी के ट्रैक रिकॉर्ड और परेश रावल के राजनीतिक करियर का सवाल है, बल्कि नरेंद्र मोदी की इज्जत का भी है. लेकिन अब जब चुनाव अभियान अपने आखिरी चरण में है, तो खुद उम्मीदवार गायब है.

 

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