25 नवंबर को मध्य प्रदेश में मतदान से पहले प्रदेश के मंत्री और बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय मंगलवार को सरेआम रुपये बांटते देखे गए.
एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने लड़कियों को 100-100 के नोट बांटे. ये तस्वीरें कैमरे पर कैद हो गईं. अब उन पर आचार संहिता के उल्लंघन का मामला चल सकता है.
वोट के बदले रिश्वत देने की नहीं थी मंशा: विजयवर्गीय
मामले पर जमकर हंगामा मचा और विपक्ष ने कार्रवाई की मांग की. इसके बाद विजयवर्गीय ने सफाई दी कि उनकी वोट के बदले रिश्वत देने की मंशा नहीं थी.
उन्होंने कहा कि वह एक धार्मिक उत्सव था इसलिए उन्होंने रिवाज के मुताबिक पैसे बांटे. उनके मुताबिक, लड़कियों को पैसे देना परंपरा का हिस्सा था.
बवाल से गुस्साए कैलाश विजयवर्गीय ने कथित रूप से यह भी कहा कि वह आचार संहिता में यकीन नहीं रखते और इसे ठोकर मारते हैं.
कांग्रेस ने की चुनाव आयोग से शिकायत
इस बयान पर प्रदेश कांग्रेस ने चुनाव आयोग के सामन कड़ी आपत्ति जताई. कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, 'विजयवर्गीय कल 14 अक्टूबर को नंदानगर में एक समुदाय के शस्त्रपूजन कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने अपने बयान के जरिये आदर्श आचार संहिता को सख्ती से लागू कराये जाने पर खीझ जाहिर की. उन्होंने चुनाव आयोग को खुली चुनौती देते हुए यहां तक कह दिया कि वह ऐसी आचार संहिता को ठोकर मारते हैं.'
इस बीच, बीजेपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि चुनाव आचार संहिता को लागू कराने के नाम पर सियासी नेताओं के धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का हनन नहीं किया जाना चाहिये और चुनाव आयोग को जारी त्यौहारी माहौल में इस सिलसिले में ‘व्यावहारिक’ रवैया अपनाना चाहिए.